भारत अपने अरुणाचल प्रदेश और लद्दाक्ष क्षेत्र में कुछ भी करता है तो उससे चीन को तुरंत दिक्कत होने लगती है. गुरुवार को भी कुछ ऐसा ही हुआ. भारतीय पर्वतारोहियों की एक टीम अरुणाचल प्रदेश के तवांग में स्थित करीब 21 हजार फीट की एक गगनचुंबी पहाड़ी पर चढ़ गई. अपने इस कीर्तिमान को यादगार बनाने के लिए इस टीम ने इस बेनाम पहाड़ी का नाम छठे दलाई लामा के नाम पर रख दिया. बता जब दलाई लामा की हो तो चीन को मिर्ची लगना तो तय ही था. ड्रैगन की तरफ से तुरंत इसपर रिएक्शन भी आया. उन्होंने इसे चीनी क्षेत्र में अवैध अभियान करार दिया.
रक्षा मंत्रालय के अधीन आने वाले दिरांग स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनिंग एंड एडवेंचर स्पोर्ट्स (NIMAS) की 15 सदस्यीय दल ने पिछले शनिवार को चोटी पर चढ़ाई की और तवांग में जन्मे छठे दलाई लामा त्सांगयांग ग्यात्सो (17वीं-18वीं शताब्दी ई.) के सम्मान में इसका नाम ‘त्सांगयांग ग्यात्सो चोटी’ रखा. चीन अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताता है और इसे अपने देश में ‘ज़ंगनान’ के नाम से जानता है. छठे दलाई लामा के नाम पर इस पहाड़ का नाम रखना चीनियों को इसलिए भी रास नहीं आया होगा क्योंकि वो तिब्बत पर कब्जा करे बैठा है और दलाई लामा तिब्बत के ही धर्मगुरु को कहा जाता हैं. भारत का यह कदम चीन को यह याद दिलाता है कि तिब्बत उसका हिस्सा नहीं है बल्कि एक स्वतंत्र देश है.
चीन के विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने बीजिंग में मीडिया से कहा, “मुझे नहीं पता कि आपने क्या उल्लेख किया है. मैं अधिक व्यापक रूप से यह कहना चाहता हूं कि जांगनान का क्षेत्र चीनी क्षेत्र है और भारत द्वारा चीनी क्षेत्र में तथाकथित ‘अरुणाचल प्रदेश’ की स्थापना करना अवैध और निरर्थक है. यह चीन की लगातार स्थिति रही है.”
15 दिन में पूरी की चढ़ाई
उधर, NIMAS के निदेशक कर्नल रणवीर सिंह जामवाल के नेतृत्व में अभियान को 6,383 मीटर (20941.6 फीट) ऊंची चोटी पर विजय प्राप्त करने में 15 दिन लगे. रक्षा जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल एम. रावत के अनुसार, यह शिखर तकनीकी रूप से क्षेत्र में सबसे चुनौतीपूर्ण और अज्ञात शिखरों में से एक था और इस पर “बर्फ की विशाल दीवारों, खतरनाक दरारों और दो किलोमीटर लंबे ग्लेशियर सहित अपार चुनौतियों” को पार करने के बाद विजय प्राप्त की गई थी.