अडानी एयरपोर्ट्स होल्डिंग्स लिमिटेड को भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) को लगभग 2,800 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा. अडानी एयरपोर्ट्स होल्डिंग्स, अडानी समूह की एयरपोर्ट ब्रांच है. मामले से जुड़े लोगों ने बताया है कि यह भुगतान 2021 में निजीकरण प्रक्रिया के तहत हासिल किए गए 3 हवाई अड्डों (जयपुर, तिरुवनंतपुरम और गुवाहाटी) से संबंधित है.
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, अडानी समूह ने नवंबर 2021 में अहमदाबाद, जयपुर, गुवाहाटी, तिरुवनंतपुरम, लखनऊ और मैंगलोर हवाई अड्डों के अधिग्रहण के लिए AAI को 2,440 करोड़ रुपये का भुगतान किया था. मौजूदा भुगतान जयपुर, तिरुवनंतपुरम और गुवाहाटी हवाई अड्डों से संबंधित हैं.
किस रेवेन्यू लॉस की रिकवरी है ये?
ये भुगतान उस रेवेन्यू की रिकवरी के लिए हैं, जो एएआई ने इन हवाई अड्डों के ऑपरेशन के दौरान खोए थे. 2019 में बोली लगाई गई थी और 2021 में जब अडानी समूह ने इन हवाई अड्डों को संभाला, तो उन दो वर्षों में एएआई द्वारा किए गए निवेश और उनकी अंतिम कीमतों के बीच का अंतर भी शामिल है.
एयरपोर्ट ऑपरेटर्स की आय (हवाई अड्डों द्वारा लिए जाने वाले टैरिफ) भारत में एक निर्धारित दर पर सीमित होती है हर पांच वर्षों के लिए तय होती है, जिसे कंट्रोल पीरियड कहा जाता है. ये टैरिफ एयरपोर्ट इकॉनमिक रेगुलेटरी अथॉरिटी (AERA) द्वारा अनुमोदित किए जाते हैं.
हवाई अड्डे विभिन्न शुल्क जैसे लैंडिंग शुल्क, पार्किंग शुल्क और यूजर डेवलपमेंट फीस ले सकते हैं. यदि कोई हवाई अड्डा ऑपरेटर एक निश्चित अवधि के लिए अपनी लक्ष्य के हिसाब से आय हासिल नहीं करता है, तो अगले चक्र के लिए टैरिफ को संशोधित कर बढ़ा दिया जाता है, ताकि पिछली अवधि के रेवेन्यू की भरपाई हो सके. एआईआरए भी पिछले पांच वर्षों की अवधि में अधिक-रिकवरी के लिए टैरिफ को समायोजित कर सकती है.
कोविड के चलते घाटे में रहा था AAI
वित्त वर्ष 17 से वित्त वर्ष 21 की अवधि में एएआई इन हवाई अड्डों का संचालन कर रहा था, और कोविड के कारण उत्पन्न हुई भारी व्यवधानों के चलते इसे रेवेन्यू में काफी हानि का सामना करना पड़ा. अगर हवाई अड्डों का निजीकरण नहीं होता, तो एएआई अगले पांच साल की अवधि में टैरिफ वृद्धि के जरिए पिछली पांच साल की राजस्व हानि को वसूलने का हकदार होता.
अडानी यूजर्स से कर सकेगा भरपाई
चूंकि अब अडानी इन हवाई अड्डों का संचालन कर रहा है, उसे एएआई को इस राजस्व रिकवरी की भरपाई के लिए एआईआरए द्वारा अनुमोदित राशि का भुगतान करना होगा. हालांकि, अडानी को नियामक द्वारा अतिरिक्त टैरिफ वृद्धि के जरिए हवाई अड्डे के यूजर्स (यात्रियों, एयरलाइंस और अन्य) से इन लागतों की भरपाई करने की अनुमति दी गई है. अडानी अगले तीन से छह वर्षों में इन लागतों की वसूली कर सकेगा.
एआईआरए द्वारा जून में प्रकाशित परामर्श पत्रों के अनुसार, जब FY22-FY27 की अवधि (अडानी के लिए पहली नियंत्रण अवधि) के लिए इन हवाई अड्डों के टैरिफ का विश्लेषण किया गया, तो एएआई की राजस्व रिकवरी को गुवाहाटी हवाई अड्डे के लिए 172.8 करोड़ रुपये, जयपुर के लिए 644.17 करोड़ रुपये और तिरुवनंतपुरम के लिए 789.29 करोड़ रुपये अनुमोदित किया गया.
निजीकरण से पूर्व की अवधि से जुड़े भुगतान की कुल राशि लगभग 2,800 करोड़ रुपये है, जिसमें राजस्व रिकवरी का हिस्सा और अन्य भुगतान शामिल हैं, जैसा कि एआईआरए द्वारा अनुमोदित किया गया है.
बताया गया कि अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स इस भुगतान के लिए वित्तीय संस्थानों से 2,000 करोड़ रुपये का ऋण जुटाएगा, जबकि बाकी राशि समूह द्वारा किए गए धन के निवेश से आएगी.