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महंगाई से लड़ाई अभी नहीं हुई खत्म, क्या दिसंबर में कम होंगी ब्याज दरें? आरबीआई गवर्नर ने दिए संकेत

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रेपो दरों में कटौती करे, फिलहाल इसकी कोई संभावना नहीं दिख रही है. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने दोहराया है कि मुद्रास्फीति के खिलाफ केंद्रीय बैंक की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है. उन्होंने संकेत दिया कि ब्याज दरें लंबे समय तक ऊंची बनी रह सकती हैं. दास ने ग्लोबल साउथ के केंद्रीय बैंकों के सम्मेलन में अपने भाषण में कहा कि हमारे द्वारा मुद्रास्फीति को लक्ष्य के अनुरूप लाने की प्रतिबद्धता पर जोर देने के साथ ही हम यह भी स्पष्ट रूप से कहते हैं कि केवल सहनशीलता सीमा के भीतर रहना पर्याप्त नहीं है. हमारा काम तब तक पूरा नहीं होता जब तक हम 4% के लक्ष्य को स्थायी रूप से प्राप्त नहीं कर लेते.

उन्होंने कहा, “मजबूत विकास ने हमें मुद्रास्फीति पर ध्यान केंद्रित करने की जगह दी है ताकि इसे 4% के लक्ष्य तक स्थायी रूप से लाया जा सके. स्थिर मुद्रास्फीति या मूल्य स्थिरता जनता और अर्थव्यवस्था के लिए सर्वोत्तम हित में है. यह सतत विकास की आधारशिला के रूप में कार्य करती है, लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ाती है और निवेश के लिए एक स्थिर वातावरण प्रदान करती है.”

वित्त मंत्री ने दरों को कम करने पर दिया जोर
गवर्नर का यह भाषण ऐसे समय आया है जब केंद्रीय वाणिज्य मंत्री और वित्त मंत्री दोनों ने हाल ही में कम मुद्रास्फीति के लिए जोर दिया है. वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि आरबीआई को खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति को नजरअंदाज करना चाहिए क्योंकि यह मांग और आपूर्ति का मुद्दा है, जबकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए बैंकों से ब्याज दरों में कमी की मांग की थी.

क्या दिसंबर में कम होगी लोन EMI?
आरबीआई ने फरवरी 2023 से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. मई 2023 से ब्याज दरों में कोई कटौती देखने को नहीं मिली है. महंगाई की दर आरबीआई के टॉलरेंस लेवल से ऊपर यानी 6 फीसदी से ज्यादा हो गई है. ऐसे में दिसंबर के महीने में आरबीआई माॅनिटरी पाॅलिसी कमिटी (एमपीसी) द्वारा रेपो रेट में कटौती करने की संभावना न के बराबर है. ऐसे में लोन पर ब्याज दर कम नहीं होने वालें हैं और ईएमआई दरों पर भी आम आदमी को राहत मिलने की उम्मीद कम है.