अमेरिका जाकर पढ़ाई करना और फिर वहां से लौटकर लाखों रुपये की नौकरी पाना तो हर भारतीय युवा का सपना रहता है, लेकिन अब यह अमेरिका में ही नौकरी पाने और बसने की ख्वाहिश भी पूरी हो सकती है. अमेरिका में पढ़ने वाले हर युवा को ग्रीन कार्ड देने की बहस शुरू हो गई है. दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति और अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी माने जाने वाले एलन मस्क ने इस पर बहस छेड़ दी है.
एलन मस्क ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (ट्विटर) पर लिखा कि आप अमेरिका को एक विजेता बनाना चाहते हैं या फिर लूजर. अगर आप दुनिया के बेस्ट टैलेंट को दूसरे किसी देश में काम करने के लिए भेज देते हैं तो फिर अमेरिका लूजर बन जाएगा. अगर आप यहां के टैलेंट को यहीं रोक लेंगे तो अमेरिका को विनर बना सकते हैं. मस्क ने यहां तक कहा कि सिलिकन वैली में इंजीनियरिंग टैलेंट की हमेशा से कमी रही है.
कितने टैलेंट की है जरूरत
अमेरिका में न्यूज चैनल चलाने वाले मारियो नोफॉल का कहना है कि सिर्फ सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को ही साल 2032 तक 1.60 इंजीनियरों की जरूरत है. इस इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने के लिए 250 अरब डॉलर से ज्यादा निवेश की भी जरूरत होगी. मारियो ने कहा कि एलन मस्क के अनुसार AI एक्सपर्ट की डिमांड इस समय सबसे ज्यादा है और देश में टैलेंट भी तेजी से पैदा होने चाहिए. अगर एक्सपर्ट की कमी हुई तो एआई से लेकर सेमीकंडक्टर तक तमाम इंडस्ट्री को इसका नुकसान होगा.
सेल्सफोर्स डॉटकॉम के सीईओ मार्क बेनिऑफ ने एलन मस्क के इस मुद्दे पर अपनी राय रखी. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, ‘क्या हम अमेरिकी विश्वविद्यालयों से डिग्री लेने वालों को यूएस ग्रीन कार्ड साथ में सकते हैं. बजाय इसके कि अपनी यूनिवर्सिटी से निकलने वाले बेस्ट टैलेंट को देश के बाहर जाने देने के, उन्हें अपने ही देश में रखा जाए ताकि हमारी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने और मजबूत करने में अपना योगदान दे सकें.’
अभी कैसे मिलता है ग्रीन कार्ड
अमेरिका में ग्रीन कार्ड पाने के लिए अभी फॉर्म I-485 भरकर ऑनलाइन आवेदन करना होता है, जो USCIS की वेबसाइट पर किया जाता है. यह प्रक्रिया इतनी जटिल है कि ग्रीन कार्ड के लिए कई साल तक इंतजार करना पड़ सकता है. यही कारण है कि ग्रीन कार्ड पाना अमेरिका में काफी कठिन है. अगर एलन मस्क के सुझाव पर अमेरिकी सरकार गौर करती है तो इसका सबसे ज्यादा फायदा भारतीयों को होगा. हर साल हजारों भारतीय अमेरिका में डिग्री लेने जाते हैं.