अरब सागर में पाकिस्तान पहले सिर्फ कुछ नॉटिकल मील दूर तक ही ऑपरेट करता था. जब से चीन ने उसकी नौसेना को आकार देना शुरू किया वह अब अपनी हद से बाहर आने लगा है. चीन पहले ही एंटी पायरेसी और हाईड्रोग्राफी के नाम पर हिंद महासागर के रास्ते अरब सागर तक पहुंचने लाग है. दोनो देशों को उनकी हद समय समय पर भारतीय नौसेना दिखा देती है. भारतीय नौसेना ने एक ऐसा डेपलायमेंट किया है उससे चीन पाकिस्तान के होश फाख्ता हो गए. भारतीय नौसेना ने अपने दोनों एयरक्राफ्ट कैरियर को अरब सागर में तैनात कर दिया है. स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत ने वेस्टर्न फ्लीट “सोर्ड आर्म” के कैरियर बैटल ग्रुप INS विक्रमादित्य को ज्वाईन कर चुका है. कई मल्टी डोमेन अभ्यास और ट्विन कैरियर फाइटर ऑपरेशन को अंजाम दो चुका है. पाकिस्तान बड़ी तेजी से अपनी नौसेना को ताकतवर बनाने में जुटा है. उसकी नौसेना को डेवलप करने के लिए चीन सबसे आगे है. पाकिस्तान के पास अभी 24 के करीब जंगी जहाज है. पाकिस्तानी नौसेना आने वाले दिनों में उसकी संख्या दोगुनी करने की राह पर है. पाकिस्तान साल 2035 तक अपने जंगी जहाजों की संख्या 50 तक कर लेगा.
क्या होता है कैरियर बैटल ग्रुप?
एयरक्राफ्ट कैरियर समुद्र पर तैरता एक एयरफील्ड है. एयरक्राफ्ट कैरियर की वजह से समंदर में एयर अटैक करने की क्षमता दोगुनी हो जाती है. एयर ऑपरेशन को अंजाम देना हो तो जमीनी एयर बेस से एयरक्रफ्ट को लॉंच किया जाता है. समंदर में दुशमन के जहाजों को निशाना बनाने के लिए समुद्र में दुशमन के इलाके के करीब एयरक्राफ्ट कैरियर को पोजिशन कर एयर ऑपरेशन लॉंच किया जा सकता है. एयरक्राफ्ट कैरियर कभी अकेले मूव नहीं करता. कैरियर तक पहुंचने वाले किसी भी खतरे को दूर करने लिए दर्जनों जंगी जहाज और सबमरीन मौजूद रहते है. एयरक्राफ्ट कैरियर पर दुश्मन देश की नजर सबसे पहले होती है क्योंकि अगर इसे निशाना बनाया तो नौसेना की कमर टूट जाती है. लेहाजा इसकी सुरक्षा सबसे जरूरी है. अगर हम भारतीय कैरियर बैटल ग्रुप की बात करें तो एक ग्रुप में डेस्ट्रॉयर, फ्रीगेट, सबमरीन और सपोर्ट शिप की संख्या 8 से 12 होती है. ऑप्रेशन के लेहाज से इनकी संख्या को कम ज्यादा किया जाता है. मिसाइल बोट या कॉर्वेट, ऑयल टैंकर शिप भी लगातार इस बैटल ग्रुप के साथ मूव करते है.
250 नॉटिकल मील तक का इलाका हो जाता है अभेद्य
हर जंगी जहाज, फाइटर एयरक्राफ्ट, हैलिकॉप्टर एक दूसरे से कनेक्ट होते है. यह एयरक्राफ्ट कैरियर की तरफ आने वाले हर टार्गेट या खतरे को एंगेज करते है. यह सभी एयरक्राफ्ट कैरियर के 30 से 40 नॉटिकल मील के रेडियस पर अलग अलग तरह से पोजिशन होते है.अगर भारतीय नौसेना के कैरियर बैटल ग्रुप के इफेक्टिव रेंज की बात करें तो सामान्य तौर पर 200 से 250 नॉटिकल मील तक के इलाके को यह बैटल ग्रुप सुरक्षित रखने में सक्षम है. जंग के दौरान यह और बढ़ जाती है. कैरियर बैटल ग्रुप से एंटी सबमरीन वॉरफेयर ऑपरेशन, एंटी शिप ऑपरेशन, एयर डिफेंस, सर्वेलांस और सर्च एंड रेसक्यू ऑपरेशन चलाए जा सकते है.
कैरियर बैटल ग्रुप और कैरियर स्ट्राइक ग्रुप में फर्क
भारतीय नौसेना के पास फिलहाल दो एयरक्राफ्ट कैरियर है. तीसरे कैरियर को लेकर अभी चर्चा जारी है. दुनिया में एयरक्राफ्ट कैरियर ग्रुप को दो नाम से जाना जाता है. एक है कैरियर बैटल ग्रुप (CBG). दूसरा है कैरियर स्ट्राइक ग्रुप (CSG). अमेरिका, फ्रांस, चीन कैरियर स्ट्राइक ग्रुप को ऑपरेट करते है. यह इस तरह से डिजाइन किया गाया होता है कि समंदर से जमीन पर हमला किया जा सके. यह आकार में भी बड़े होते हैं. कैरियर बैटल ग्रुप जो भारतीय नौसेना ऑपरेट करती है. इसका डिजाइन इस तरह से किया गया है कि वह समंदर में उनकी फ्लीट को होने वाले दुशमन के जहाजों के खतरे को निशाना बनाने के लिए किया जाता है. चीन के पास फिलहाल 3 एयरक्राफ्ट कैरियर है और पाकिस्तान के पास एक भी नहीं.