देश के करोड़ों किसानों के लिए बजट और एमएसपी के मोर्चे पर दो अहम खबरें आई हैं. पहली यह कि कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की और कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने तथा किसानों की आय बढ़ाने के लिए अपने मंत्रालय के बजट प्रस्तावों पर बातचीत की, जबकि दूसरी ओर संयुक्त किसान मोर्चा ने बुधवार को सरकार से फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और खरीद प्रणाली पर ‘श्वेत पत्र’ जारी करने का आग्रह किया.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चारों विभागों कृषि, आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद), ग्रामीण विकास और भूमि संसाधन के प्रस्तावों पर चर्चा की. बैठक के बाद शिवराज सिंह चौहान ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने वित्त मंत्री से मुलाकात की और सुझाव दिया कि बजट में इन विभागों के लिए क्या बेहतर हो सकता है.’
किसानों से जुड़े इन मुद्दों पर हुई बात
इसके अलावा, कृषि मंत्री ने बातचीत के दौरान किसानों, प्रसंस्करणकर्ताओं और संबंधित पक्षों द्वारा उठाई गई चिंताओं पर विस्तार से चर्चा की. उधर किसान संगठन एसकेएम ने एमएसपी को लेकर कहा कि लगभग 90 प्रतिशत फसलों की खऱीद सरकार द्वारा निर्धारित दरों पर नहीं हो रही है.
एसकेएम ने एक बयान में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान पर ‘लोगों को गुमराह करने’ का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें स्वामीनाथन आयोग द्वारा अनुशंसित फॉर्मूले और सरकारी एमएसपी फॉर्मूले के बीच के अंतर को श्वेत पत्र के जरिये सामने लाना चाहिए.
MSP के मुद्दे पर किसानों की नाराजगी
एमएसपी किसानों से कुछ फसलों की खरीद के लिए सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मूल्य है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय, कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) विशिष्ट फसलों के लिए एमएसपी के बारे में सुझाव देता है. ए2+एफएल+50 प्रतिशत फॉर्मूले में किसान द्वारा वहन की गई लागत और परिवार के श्रम का मूल्य शामिल होता है और एमएसपी निकालने के लिए इसमें लागत का 50 प्रतिशत जोड़ा जाता है.
इसके मुकाबले स्वामीनाथन आयोग द्वारा अनुशंसित सी2+50 प्रतिशत फॉर्मूले में स्वामित्व वाली भूमि का अनुमानित किराया मूल्य, और अचल पूंजी पर ब्याज, पट्टे पर दी गई भूमि के लिए भुगतान किया गया किराया भी जोड़ा जाता है.