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जीरो कार्बन-नो पलूशन! मोदी-ट्रंप करेंगे बड़ा खेल! जानिए कैसे भारत बनेगा न्यूक्लियर एनर्जी का पावर हाउस

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पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने 2008 में जो लकीर खींची थी, पीएम मोदी अब उससे और लंबी लकीर खींचने जा रहे हैं. इसके संकेत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण में ही मिल गए. जब निर्मला सीतारमण ने न्यूक्लियर डील के लायबिलिटी क्लॉज यानी परमाणु दायित्व कानून में संशोधन करने का ऐलान कर दिया. अब आप सोचेंगे कि आखिर न्यूक्लियर डील का यह लायबिलिटी क्लॉज क्या है. अब समझां दूं कि जब कोई बड़ी दुर्घटना होती है तो परमाणु दायित्व कानून के तहत भारत में विदेशी कंपनियों पर भारी जुर्माने का प्रावधान है. यह इतना ज्यादा है कि 14 सालों में कोई कंपनी भारत में निवेश कर ही नहीं पाई है. इसकी वजह से ही भारत में न्यूक्लियर पावर का रास्ता सुनसान पड़ा है. अब इसे मार्केट के हिसाब से तर्कसंकत बनाया जाएगा. इसकी राह पीएम मोदी के अमेरिका दौरे पर प्रशस्त हो जाएगी.

दरअसल, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को देश का बजट पेश किया. इस दौरान उन्होंने परमाणु एनर्जी क्षेत्र के विकास में सबसे बड़ी नीतिगत बाधा को दूर करने का ऐलान किया. उन्होंने बजट भाषण में ही साफ कर दिया कि न्यूक्लियर एनर्जी एक्ट और नागरिक परमाणु क्षति दायित्व अधिनियम 2010 (सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट 2010) में संशोधन होगा. परमाणु दायित्व कानून में संशोधन का मकसद देश में परमाणु एनर्जी को बढ़ावा देना. भारत के परमाणु एनर्जी सेक्टर को तर्कसंगत और विदेशी निवेश के अनुकूल बनाना.

क्यों अहम है मोदी का अमेरिका दौरा
परमाणु दायित्व कानून में संशोधन की बात ऐसे वक्त में आई है, जब पीएम मोदी अमेरिका जाने वाले हैं. साथ ही अमेरिका ने हाल ही में तीन परमाणु संस्थाओं पर से बैन हटाए हैं. पीएम मोदी 12 फरवरी को पेरिस से सीधे अमेरिका जाएंगे. यहां उनकी मुलाकात डोनाल्ड ट्रंप से होगी. डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी के बीच परमाणु एनर्जी, व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने पर चर्चा होगी. साथ ही भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों को और मजबूत करने पर फोकस होगा. इस दौरान भारत की परमाणु एनर्जी जरूरतों के हिसाब से पीएम मोदी डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैठकर एजेंडा सेट करेंगे. परमाणु दायित्व कानून में संशोधन की बात से भारत-अमेरिका के बीच सिविल-न्यूक्लियर फील्ड में सहयोग के नए रास्ते खुलेंगे.