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छत्तीसगढ़ के इस जिले में अब ‘अप-डाउन राज’ खत्म! कलेक्टर ने बजाया सख्ती का बिगुल

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छत्तीसगढ़ के गरियाबंद को बस एक ट्रांजिट पॉइंट समझने वालों के दिन लद गए हैं. शनिवार-रविवार को मुख्यालय से नदारद रहने वाले अधिकारियों की गैरहाजिरी पर नाराज़ कलेक्टर ने आदेश जारी कर दिया है.अब बिना अनुमति के जिले से बाहर रहना सीधे नौकरी पर भारी पड़ सकता है.जिला प्रशासन की कुर्सी संभालने के बाद गरियाबंद कलेक्टर भगवान सिंह उइके ने इसके लिए सख्ती बरती है.

हफ्ते में 5 दिन गरियाबंद, 2 दिन राजधानी
कुछ अफसरों और कर्मचारियों ने तो जैसे यही फॉर्मूला बना लिया था. सोमवार से शुक्रवार तक गरियाबंद में ड्यूटी और फिर शनिवार की सुबह राजिम,रायपुर और आस पास की ओर रवानगी. जैसे ही शुक्रवार की शाम होती पूरे जिले में सरकारी दफ्तरों में सन्नाटा होने लग जाता.

कलेक्टर ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सभी अधिकारी-कर्मचारी को तीन दिन के भीतर अपना स्थायी पता (जो गरियाबंद मुख्यालय में हो) लिखित रूप में देना होगा. यह भी बताया जाए कि वे कहां रहते हैं और कब तक वहां उपलब्ध रहेंगे?

बिना अनुमति निकले तो सीधा नोटिस
आदेश में कहा गया है कि अगर कोई अधिकारी या कर्मचारी सक्षम अधिकारी की लिखित स्वीकृति के बिना मुख्यालय से बाहर पाया गया, तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई तय है. यानी अब बहानेबाज़ी या सर थोड़ी तबीयत खराब थी जैसी कहानियां नहीं चलेंगी.

गरियाबंद को वर्क फ्रॉम रायपुर से मुक्ति मिलेगी?
लोगों का कहना है कि अगर यह आदेश वास्तव में लागू होता है, तो गरियाबंद को कई सालों बाद ऐसे अफसर मिलेंगे जो जिले में रहकर काम करेंगे, न कि सुबह बस से आकर शाम को निकल जाने वाले ‘घूमंतू अफसर’। अब देखना यह है कि ये आदेश सिर्फ कागज तक सिमटता है या फिर वाकई अफसरों की पगडंडियों की दिशा राजधानी से बदलकर गरियाबंद की ओर होती है.