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बच्‍चे ने लिया एजुकेशन लोन और आप बन गए गारंटर, इससे क्‍या फायदा और क्‍या नुकसान, आवेदन से पहले जानना जरूरी

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नया सत्र शुरू होने के साथ ही बच्‍चों के एडमिशन का दौर भी शुरू हो चुका है. आजकल उच्‍च शिक्षा और प्रोफेशनल कोर्सेस की फीस इतनी महंगी हो गई है कि आम आदमी के लिए उसका भुगतान करना आसान नहीं रह गया है. लिहाजा ज्‍यादातर लोगों को बच्‍चों की उच्‍च शिक्षा के लिए एजुकेशन लोन भी लोन पड़ता है. यह बात सभी को पता है कि एजुकेशन लोन मिलेगा बच्‍चे के नाम से ही और माता-पिता को उसका गारंटर बनना पड़ता है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि बच्‍चे के एजुकेशन लोन के लिए अगर आप गारंटर बनते हैं तो इसका क्‍या असर पड़ेगा.

सबसे पहले तो यह समझते हैं कि आखिर लोन का गांरटर बनने का क्‍या मतलब है. चूंकि, उच्‍च शिक्षा के लिए लोन लेने वाले बच्‍चे का खुद का कोई इनकम नहीं होता है, लिहाजा बैंक उसके अच्‍छे भविष्‍य को देखते हुए लोन तो दे देते हैं, लेकिन इसमें जोखिम भी काफी ज्‍यादा होता है. इसी जोखिम को देखते हुए बैंक उसके पैरेंट जिनकी एक निश्चित आमदनी होती है, उन्‍हें लोन का गारंटर बना देते हैं. गारंटर की जिम्‍मेदारी यह होती है क‍ि अगर लोन लेने वाले ने नहीं चुकाया तो इसकी भरपाई गारंटर को करनी होगी.

गारंटर बनने के फायदे
बच्‍चे के एजुकेशन लोन का गारंटर बनने का सबसे बड़ा फायदा तो यही है कि इसके बाद बैंक आसानी से आपके बच्‍चे को लोन दे देते हैं. इसके सहारे बच्‍चा अपने भविष्‍य की नींव रखता है और उच्‍च शिक्षा पूरी कर जीवन में सफल इंसान बनता है. लोन की इस रकम से वह अपनी फीस भरने के साथ रहने और खाने का खर्चा भी उठा सकता है. दूसरा फायदा ये है कि गारंटर होने पर बैंक का जोखिम कम हो जाता है, जिससे वह कम ब्‍याज दर पर एजुकेशन लोन देने के लिए तैयार हो सकते हैं.

गारंटर बनने के जोखिम

सबसे बड़ा जोखिम तो यही है कि अगर एजुकेशन लोन लेने वाले बच्‍चे ने बैंक को पैसा नहीं लौटाया तो बैंक इसकी भरपाई आपसे वसूली के जरिये करेगा.
छात्र की ओर से लोन नहीं चुकाए जाने पर उसके गारंटर के सिबिल स्‍कोर पर भी असर पड़ेगा और बिना आपकी गलती के ही आपका सिबिल स्‍कोर खराब हो सकता है.
सिबिल या क्रेडिट स्‍कोर खराब होने की स्थिति में गारंटर की लोन एलिजिबिलिटी पर भी असर पड़ता है. लिहाजा भविष्‍य में जब आप होम, ऑटो या पर्सनल लोन लेने जाते हैं तो उस पर भी इसका असर दिखेगा.