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कोलकाता के आरजी कर मेड‍िकल कॉलेज: ‘संजय रॉय आरोपी नहीं भी हो सकता’, लेडी डॉक्टर की मां ने ‘जांच के तरीके’ पर उठाए सवाल….लेडी डॉक्‍टर की बॉडी में मिला 150 ML तरल…..पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट से खुला राज

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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में आधी रात को हत्यारों के हाथों अपनी बेटी गंवा देने वाले माता पिता ने लेडी डॉक्टर की हत्या और मर्डर के मामले में पुलिस और सीबीआई की जांच के तरीकों पर सवाल उठाए हैं. पीड़ित की मां ने पुलिस पर ताजा आरोप लगाते हुए कहा है कि हमने कहा था कि संजय रॉय आरोपी नहीं भी हो सकता है.

मां ने कहा कि उस दिन सुबह 10:53 बजे हमें अस्पताल के सहायक अधीक्षक का फोन आया, जिसमें कहा गया कि यह आत्महत्या है. अस्पताल पहुंचने के बाद हम तुरंत उसका शव नहीं देख पाए. दोपहर 3 बजे ही हम उसे देख पाए. हम बहुत दबाव में थे. कुछ लोगों ने उसकी कार को नुकसान पहुंचाने की भी कोशिश की. जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हमारे घर आईं तो हमने उनसे कहा कि हमें संदेह है कि संजय रॉय (गिरफ्तार आरोपी) इसमें शामिल नहीं हो सकता है.

‘सीबीई टीम जब हमारे घर पहुंची…’
जॉइंट वी चंद्रशेखर के नेतृत्व में सीबीआई की एक टीम ने सोदेपुर में घर दौरा किया था. सीबीआई टीम गुरुवार को शाम करीब 4.30 बजे घर पहुंची और वहां एक घंटे से अधिक समय तक परिवार से बात की. बाद में शाम को पीड़ित के पिता ने कहा कि उन्होंने अपने पास मौजूद सभी सबूत और दस्तावेज सीबीआई अधिकारी को सौंप दिए हैं.

मां ने कहा, हम इस पूरे आंदोलन और देश और विदेश में हो रहे विरोध प्रदर्शनों का 100% समर्थन करते हैं. हम सभी प्रदर्शनकारियों को अपना प्यार भेजते हैं. हम सभी को अपना बेटा और बेटी मानते हैं. पीड़ित के माता पिता ने 14-15 अगस्त की आधी रात को देश भर में हुए प्रदर्शन और रिक्लेम द नाइट आयोजन के लिए कहा कि उन्होंने एक बेटी गंवा दी है लेकिन अब उनके पास लाखों बेटियां हैं.

कोलकाता के आरजी कर अस्‍पताल में जूनियर डॉक्‍टर की रेप के बाद हत्‍या मामले में रोज नए खुलासे हो रहे हैं. इस बीच सोशल मीडिया में कई तरह के भ्रामक दावे भी किए जा रहे हैं. एक दावे में कहा जा रहा क‍ि लेडी डॉक्‍टर की बॉडी में 150 ग्राम या 150 एमएल स्‍पर्म मिला है. पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट में यह बात सामने आई है. लेकिन हकीकत कुछ और ही है. असली पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक, ज‍िस 150 ग्राम की बात की जा रही है, वो स्‍पर्म नहीं, बल्‍क‍ि पीड़‍िता के यूटरस और अन्‍य अंगों का वजन है.

इस बीच सोशल मीडिया में कई तरह के भ्रामक दावे भी किए जा रहे हैं. एक दावे में कहा जा रहा क‍ि लेडी डॉक्‍टर की बॉडी में 150 ग्राम या 150 एमएल स्‍पर्म मिला है. पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट में यह बात सामने आई है. लेकिन हकीकत कुछ और ही है. असली पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक, ज‍िस 150 ग्राम की बात की जा रही है, वो स्‍पर्म नहीं, बल्‍क‍ि पीड़‍िता के यूटरस और अन्‍य अंगों का वजन है.

सेंट्रल फोरेंसिक लैब में काम कर चुके कई वरिष्ठ फोरेंसिक एक्‍सपर्ट से बात की. एक सीनियर फोरेंसिक एक्‍सपर्ट ने बताया क‍ि डॉक्‍टर जब भी क‍िसी का पोस्‍टमार्टम करते हैं, तो अंगों का वजन जरूर दर्ज करते हैं. इस मामले में ज‍िस 150 ग्राम या मिलीग्राम की बात की जा रही है, दरअसल वह कोई स्‍पर्म की तरह तरल पदार्थ नहीं है. उन्‍होंने कहा, मैंने उस बच्‍ची की पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट देखी है. पोस्टमार्टम तीन डॉक्टरों के एक पैनल ने क‍िया था. इनमें कम से कम दो महिला फोरेंसिक साइंंटिस्‍ट और डॉक्टर शामिल थीं. आरजी कर मेडिकल कॉलेज के दो डॉक्टर और एनआरएस मेडिकल कॉलेज के एक डॉक्टर भी उस वक्‍त मौजूद थे.

फोरेंसिक एक्‍सपर्ट ने मौके पर क्‍या देखा
घटना के लगभग पांच घंटे बाद फोरेंसिक टीम जब मौके पर पहुंची, तो वहां पड़ा तरल पदार्थ एक धब्‍बे जैसा बन गया था. एक्‍सपर्ट की टीम ने वहां फ्लोर से कुछ सैंपल उठाए. वहां कोई भी स्‍पर्म की तरह तरल पदार्थ नहीं था, क्‍योंक‍ि यह पहले ही जम चुका था और धब्‍बे में बदल चुका था. फोरेंसिक टीम ने जो सैंपल इकट्ठा क‍िए, उनमें ब्‍लड, स्‍पर्म और स्‍वाब शामिल है. घटना के तीन दिन बाद 12 अगस्‍त को इन सैंपल को सेंट्रल फोरेंसिक लैब में जमा क‍िया गया. इतनी देर इसल‍िए लगी, क्‍योंक‍ि सेंट्रल फोरेंसिक लैब में जमा करने की एक खास प्रक्रिया है. कई प्रोटोकॉल से गुजरना पड़ता है.

डीएनए प्रोफाइल‍िंंग से क्‍या पता चलेगा
सेंट्रल फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट अगले बुधवार तक आने की उम्‍मीद है. इसके बाद सारी जानकारी सीबीआई को भेज दी जाएगी. इस रिपोर्ट में अपराध में शामिल शख्‍स की पहचान करने के ल‍िए विस्‍तृत डीएनए प्रोफाइल‍िंंग होगी. घटना के वक्‍त क‍ितने लोग मौजूद थे, इसका भी डीएनए से पता चल जाएगा.सेंट्रल फोरेंसि लैब में काम कर चुके कई वरिष्ठ फोरेंसिक एक्‍सपर्ट से बात की. इनमें कई सीनियर आईपीएस ऑफ‍िसर भी रह चुके हैं और रेप-मर्डर जैसे संवेदनशील एवं जट‍िल मामलों का पता लगाने में माह‍िर माने जाते हैं. उनके अनुसार, यूटरस वो अंग है, जो स्‍पर्म जैसे द्रव को लंबे वक्‍त तक सुरक्ष‍ित रखता है. एक बार जब इसे इकट्ठा कर लिया जाता है और डीएनए प्रोफाइलिंग के लिए मशीन के अंदर डाल दिया जाता है, तो कोई भी बाहरी प्रभाव नहीं हो सकता. प्रोफाइलिंग में समय लगता है, लेकिन यह लगभग सटीक जानकारी देता है.