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क्या है वो खदान जो पाकिस्तान को बना सकती है मालामाल, इस खजाने पर सऊदी अरब की नजर

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पाकिस्तान पिछले कुछ समय से गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और मित्र देशों से वित्तीय सहायता के बावजूद देश में स्थिति गंभीर बनी हुई है. पाकिस्तान को इस आर्थिक संकट का सामना साल 2022 में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद से करना पड़ रहा है. इस समय पाकिस्तान पर अरबों डॉलर का विदेशी कर्ज है और देश में गरीबी की दर लगभग 40 फीसदी है. हालांकि, पाकिस्तान के हाथों में एक संभावित जीवन रेखा है जो उसे इस संकट से उबार सकती है. पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में सोने की खदानें हैं. खास तौर से रेको दिक खदान में विशाल खजाना छिपा हुआ है.

रेको दिक दुनिया में सबसे बड़ी सोने और तांबे की खदानों में से एक है. इसी वजह से यह देश के लिए एक महत्वपूर्ण संपत्ति है. जानकारों का मानना है कि बलूचिस्तान के चगाई जिले में स्थित रेको दिक खदान में लाखों टन सोना है. सोने और तांबे की ये खदान पाकिस्तान के नाजुक आर्थिक संकट को कम करने में एक महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में काम कर सकती है. इससे निकलने वाला सोना पाकिस्तान की आर्थिक चुनौतियों को कम कर सकता है. इसीलिए सरकार अब इस खदान में 15 फीसदी हिस्सेदारी सऊदी अरब को बेचने पर विचार कर रही है. जिससे पाकिस्तान की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को काफी राहत मिल सकती है

कहां है रेको दिक
रेको दिक खदान पाकिस्तान के बलूचिस्तान के चगाई जिले में रेको दिक शहर के पास स्थित है. माना जाता है कि रेको दिक में दुनिया का सबसे बड़ा तांबे और सोने का भंडार है. रेको दिक क्षेत्र चगाई ज्वालामुखी श्रृंखला के कई नष्ट हुए अवशेष ज्वालामुखी केंद्रों में से एक है. यह क्वेटा-ताफ्तान लाइन रेलवे और अफगानिस्तान की सीमा के बीच बलूचिस्तान में पूर्व-पश्चिम में स्थित है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि रेको दिक दुनिया के सबसे बड़े अविकसित तांबे और सोने के भंडार में से एक है. जिसमें आधी सदी से अधिक समय तक सालाना 200,000 टन तांबा और 250,000 औंस सोने का उत्पादन करने की क्षमता है. वैसे भी बलूचिस्तान को अपने प्राकृतिक संसाधनों के भंडार के लिए जाना जाता है. इसकी खदानों में सोने और तांबे के पर्याप्त भंडार हैं. रिपोर्टों से पता चलता है कि जब 1995 में पहली बार रेको दिक खदान की खुदाई की गई थी, तो पहले चार महीनों के भीतर ही 200 किलोग्राम सोना और 1,700 टन तांबा निकाला गया था. उस समय विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया था कि खदान में लगभग 400 मिलियन टन सोना हो सकता है, जिसकी कीमत एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक है

सरकार कर रही पहल
‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी अरब के सार्वजनिक निवेश कोष (पीआईएफ) ने रेको दिक माइनिंग प्रोजेक्ट में 15 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है. इसके अलावा, सऊदी अरब ने खनन क्षेत्र के आसपास बुनियादी ढांचे के विकास के लिए अनुदान का प्रस्ताव दिया है. जिसका उद्देश्य पाकिस्तान के समग्र आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है. सरकारी अधिकारियों ने खुलासा किया है कि सऊदी अरब के प्रस्ताव के समीक्षा के लिए पाकिस्तान ने एक समिति बनाने का फैसला किया है. यह समिति फेडरल कैबिनेट को सिफारिशें देगी.

पहले भी हुआ था एक करार
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि रेको दिक खनन परियोजना का 50 फीसदी स्वामित्व बैरिक गोल्ड के पास है, जबकि शेष 50 फीसदी पाकिस्तान और बलूचिस्तान की सरकारों के बीच बंटा हुआ विभाजित है. जनवरी 2023 में, बैरिक गोल्ड और बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. जिसमें अग्रिम रॉयल्टी और सामाजिक विकास निधि सहित बलूचिस्तान को मिलने वाले धन का एक टाइम टेबल बना दिया गया था. जिससे यह तय हुआ कि बलूचिस्तान के लोग परियोजना से लाभ लेना शुरू कर दें. खदान में उत्पादन शुरू होने से काफी पहले, जिसमें बलूचिस्तान सरकार को तीन मिलियन डॉलर का पहला एडवांस पेमेंट करना भी शामिल था. हालांकि, पाकिस्तानी सरकार, बैरिक गोल्ड और एंटोफगास्टा पीएलसी के बीच विवाद के कारण खनन परियोजना की प्रगति रुक ​​गई थी. एंटोफगास्टा पीएलसी बहुसंख्यक शेयरधारकों द्वारा नियंत्रित एक कंपनी है. इस परियोजना से लगभग 7,500 लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद थी, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया.

जीडीपी का 42 फीसदी कर्ज
पाकिस्तान की आर्थिक परेशानियों ने उसे वैश्विक स्तर पर विभिन्न सोर्स से अरबों रुपये उधार लेने के लिए मजबूर किया है. जिससे उसका फॉरेन लोन आश्चर्यजनक रूप से इतने ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है. बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश का विदेशी कर्ज 124.5 अरब डॉलर है, जो जीडीपी के 42 फीसदी के बराबर है, हालांकि आईएमएफ से मिली वित्तीय सहायता ने कुछ राहत प्रदान की है. लेकिन यह देश की आर्थिक स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार लाने के लिए नाकाफी है. इस साल अप्रैल में, पाकिस्तान को आईएमएफ से 9,000 करोड़ रुपये से अधिक की आर्थिक सहायता मिली थी. जिससे मई तक उसके विदेशी मुद्रा भंडार को 1.20 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाने में मदद मिली. इसके बावजूद, सरकार मानती है कि अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए राज्य के मालिकाना हक वाली संपत्तियों को बेचना एक विकल्प हो सकता है.

सभी इंडेक्स में पीछे
गंभीर आर्थिक संकट की वजह से पाकिस्तान को भोजन और ईंधन आयात करने में बहुत पैसे खर्च करने पड़ते हैं. पाकिस्तान की मुद्रास्फीति मई 2023 में 38 फीसदी तक बढ़ गई थी, लेकिन पिछले 12 महीनों में यह धीमी होकर 11.8 फीसदी रह गई है. पाकिस्तान में गरीबी की दर लगभग 40 फीसदी है. पाकिस्तान में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अभाव है. देश में साक्षरता दर दक्षिण एशियाई देशों में सबसे कम है. पाकिस्तान में लगभग ढाई करोड़ बच्चे स्कूल नहीं जाते. पाकिस्तान में हजारों स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. पाकिस्तान उन सभी मानकों में बहुत पीछे है, जो देश को खुशहाल बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं.