जम्मू पहुंचना था. तय समय पर फ्लाइट श्रीनगर एयरपोर्ट से टेकऑफ हुई और कुछ ही मिनटों के बाद जम्मू एयरपोर्ट पर लैंड होने वाली थी. फ्लाइट लैंड होती, इससे पहले हाशिम कुरैशी और अशरफ कुरैशी ने गंगा को अपने काबू में ले लिया और अपने साथ लाहौर ले गए. लाहौर एयरपोर्ट पर लैंड होते ही न केवल भारत, बल्कि पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियां सक्रिय हो गईं. गंगा के लाहौर एयरपोर्ट पहुंचने की खबर के साथ पाकिस्तान के विदेश मंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो भी एयरपोर्ट पहुंच गए.
इसके बाद, पाकिस्तानी विदेश मंत्री जुल्फिकार अली, पाकिस्तानी सिक्योरिटी एजेंसी और आतंकियों के बीच लंबी कानाफूसी चली. इस कानाफूसी का नतीजा यह निकला कि करीब 80 घंटे से जद्दोजहद कर रही गंगा को आग के हवाले कर दिया गया. देखते ही देखते आग की लपटों में घिरी गंगा लाहौर एयरपोर्ट पर राख में बदल कर रह गई. दरअसल, यहां पर जिस गंगा की बात हो रही है, वह इंडियन एयरलाइंस का उस समय का सबसे पुराना फ़ॉकर F27 एयरफ्राफ्ट था, जिसे सभी ‘गंगा’ के नाम से पुकारते थे. इस गंगा एयरक्राफ्ट को श्रीनगर से जम्मू के बीच दो हाईजैकर्स ने हाईजैक कर लिया था.
पाकिस्तान में रची गई ‘गंगा’ के हाईजैक की साजिश
दरअसल, आज से करीब 53 साल पहले पाकिस्तानी आतंकी संगठन नेशनल लिबरेशन फ्रंट के मकबूल भट ने कश्मीर के मुद्दे को दुनिया की नजर में लाने के मसकद से इंडियन एयरलाइंस के प्लेन को हाईजैक करने की साजिश रची थी. इस साजिश को अंजाम देने के लिए मकबूल भट ने हाशिम कुरैशी नामक आतंकी को चुना था. मकबूल भट ने पहले हाशिम कुरैशी को रावलपिंडी में गोरिल्ला वॉर में प्रशिक्षित किया. इसके बाद, पाकिस्तानी वायु सेना के पायलट जमशेद मंटो ने उसे हाईजैक को लेकर खासतौर पर ट्रेंड किया. घुसपैठ की कोशिश के दौरान हाशिम कुरैशी भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की पकड़ में आ गया.
पूछताछ के दौरान, हाशिम इस बात के लिए राजी हो गया कि वह कश्मीर में सक्रिय नेशनल लिबरेशन फ्रंट के आंतकियों और उनकी गतिविधियों की जानकारी भारतीय सुरक्षा एजेंसियों तक पहुंचाएगा. इसी शर्त पर उसे रिहा कर कर दिया गया. रिहा होने के बाद हाशिम एक बार फिर इंडियन एयरलाइंस के प्लेन को हाईजैक करने की साजिश को अंजाम देने में जुट गया. इस वारदात को अंजाम देने के लिए हाशिम ने अपने चचेरे भाई अशरफ कुरैशी को भी शामिल कर दिया. साजिश के तहत, हाशिम को अपने चचेरे भाई अशरफ के साथ मिलकर इंडियन एयरलाइंस के विमान गंगा को हाईजैक कर लाहौर ले जाना था.
भुट्टो की नजर के नीचे शुरू हुई हाईजैकर्स से बातचीत
साजिश के तहत, 30 जनवरी 1971 को हामिश और अशरफ विस्फोट लेकर श्रीनगर एयरपोर्ट से जम्मू के लिए रवाना होने के लिए तैयार इंडियन एयरलाइंस के प्लेन गंगा में दाखिल होने में कामयाब हो गए. प्लेन के टेकऑफ होने के कुछ देर बाद हाशिम कॉकपिट में दाखिल हो गया. उसने कैप्टन को धमकाते ही प्लेन को लाहौर ले जाने के कहा. ऐसा नहीं करने पर उसने प्लेन को विस्फोट कर उड़ा देने की धमकी दी. कैप्टन ने प्लेन का रुख लाहौर की तरफ मोड़ दिया और प्लेन हाईजैक होने की सूचना भारतीय एयर ट्रैफिक कंट्रोल को भेज दी. कुछ ही मिनटों के बाद प्लेन लाहौर एयरपोर्ट के ऊपर चक्कर लगाने लगा.
भारतीय एजेंसीज के ट्रैप में फंसे हाईजैकर्स, और फिर…
उस समय हाईजैकर्स को लगा कि भारतीय प्लेन उनके कब्जे में है, लिहाजा पैसेंजर्स को छोड़ा जा सकता है. प्लेन को अहमियत देते हुए हाईजैकर्स ने सभी 29 पैसेंजर्स और 3 क्रू मेंबर्स को रिहा कर दिया. इन पैसेंजर्स और क्रू मेंबर्स को अटारी बॉर्डर के रास्ते भारत भेज दिया गया. वहीं यात्रियों ओर क्रू के अमृतसर पहुंचते ही भारतीय एजेंसियों ने हाईजैकर्स की मांग मानने से इंकार कर दिया. यह पता चलते ही हाईजैकर्स सहित पाकिस्तानी सिक्योरिटी एजेंसीज बौखला गईं. उन्होंने इंडियन एयरलाइंस के प्लेन की तलाशी लेना शुरू किया और एयरक्राफ्ट में मौजूद कागजात और डाक को बैग को अपने कब्जे में ले लिया.
इसके बाद, पाकिस्तानी सेना की सलाह पर हाईजैकर्स ने इंडियन एयरलाइंस के प्लेन गंगा को आग के हवाले कर दिया. बाद में, भारतीय दबाव के चलते पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों ने हाशिम कुरैशी और उसके चचेरे भाई अशरफ कुरैशी सहित कुल सात लोगों को गिरफ्तार किया. मामले की जांच के लिए न्यायमूर्ति नूरुल आरिफीन की अध्यक्षता वाली एक सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया. इस जांच समिति ने हाशिम कुरैशी को छोड़ सभी को निर्दोष बता दिया. वहीं, हाशिम कुरैशी को सिर्फ 15 माह की कैद सुनाई गई. बाद मे, उसे इस सजा से भी बरी कर दिया गया.