कुछ साल पहले तक क्रेडिट कार्ड हासिल करने के लिए लोग कई तरह के पापड़ बेला करते थे. क्रेडिट कार्ड होना किसी व्यक्ति की समृद्धता का प्रतीक भी माना जाता था. मगर, अब स्थितियां बदल रही हैं. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की सख्ती और नए नियमों के चलते अब क्रेडिट कार्ड से होने वाला खर्च तेजी से कम होता जा रहा है. क्रेडिट कार्ड पर मिलने वाले डिस्काउंट और ऑफर भी अब लोगों को लुभा नहीं पा रहे हैं. आलम यह है कि वित्त वर्ष 2022 के मुकाबले इस वित्त वर्ष में क्रेडिट कार्ड से खर्च एक तिहाई ही रह गया है. हर वित्त वर्ष में इसमें देखी जा रही है.
मैक्वेरी रिसर्च (Macquarie Research) के डेटा के आधार पर बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2022 में क्रेडिट कार्ड से खर्च की वृद्धि दर 54.1 फीसदी थी. इसके बाद वित्त वर्ष 2023 में यह 47.5 फीसदी और वित्त वर्ष 2024 में आंकड़ा घटकर 27.8 फीसदी ही रह गया था. इस वित्त वर्ष में क्रेडिट कार्ड से खर्च की वृद्धि दर सिर्फ 16.6 फीसदी ही रह गई है. आरबीआई द्वारा असुरक्षित लोन के खिलाफ की जा रही कार्रवाई से क्रेडिट कार्ड द्वारा किए जा रहे खर्च पर बुरा असर पड़ा है. हर साल फेस्टिव सीजन के दौरान सितंबर से दिसंबर तक क्रेडिट कार्ड से खर्च अपने चरम पर पहुंच जाता था. मगर, इस साल ऐसा होता नहीं दिखाई दे रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) का क्रेडिट कार्ड पोर्टफोलियो वित्त वर्ष 2024 में 4.4 फीसदी घटा है. इससे पहले यह साल दर साल 3.2 फीसदी घट रहा था. इसी तरह एसबीआई कार्ड्स (SBI Cards) का क्रेडिट घाटा वित्त वर्ष 2024 में 7.4 फीसदी और वित्त वर्ष 2023 में 6.2 फीसदी रहा था. मैक्वेरी रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि हमें उम्मीद है कि कड़ी जांच और आरबीआई के नए नियमों के प्रभाव को देखते हुए क्रेडिट ग्रोथ में मंदी आगे भी जारी रहेगी. बैंकों ने भी अपने क्रेडिट कार्ड पोर्टफोलियो में बढ़े हुए तनाव का संकेत दिया है. वित्त वर्ष 2025 में अगस्त तक नए क्रेडिट कार्ड जुड़ने की दर भी 38.3 फीसदी रह गई है. वित्त वर्ष 2024 में यह 41.3 फीसदी की दर से बढ़ रहा था.