सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया, जिसमें चुनाव के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की जगह बैलेट पेपर को फिर से लागू करने की मांग की गई थी. कोर्ट ने कहा कि मशीनों पर केवल तब आरोप लगाया जाता है जब कोई चुनाव हारता है. इस पीआईएल को के.ए. पॉल ने दाखिल किया था.
दो जजों की पीठ की अध्यक्षता करते हुए जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा, “जब आप चुनाव जीतते हैं, तो ईवीएम में कोई गड़बड़ी नहीं होती. जब आप चुनाव हारते हैं, तो ईवीएम में गड़बड़ी होती है. जब चंद्रबाबू नायडू हारे, तो उन्होंने कहा कि ईवीएम में गड़बड़ी हो सकती है. अब इस बार, जब जगन मोहन रेड्डी हारे, तो उन्होंने भी कहा कि ईवीएम में गड़बड़ी हो सकती है.”
शीर्ष अदालत की तरफ से ये टिप्पणियां तब आईं जब पॉल, जो खुद अपनी याचिका पर बहस कर रहे थे, ने 2018 में नायडू के ट्वीट्स और हाल ही में रेड्डी के सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर किए गए पोस्ट्स का हवाला दिया, जिसमें चुनाव हारने के बाद ईवीएम में गड़बड़ी की संभावना का आरोप लगाया गया था.
पॉल ने खुद को जस्टिस पी बी वराले की पीठ के सामने ग्लोबल पीस इनिशिएटिव के अध्यक्ष के रूप में पेश किया, जो एक अमेरिकी एनजीओ है. पॉल ने दावा किया कि उन्होंने “3,10,000 अनाथों और 40 लाख विधवाओं को बचाया” है. उन्होंने बताया कि वह अभी-अभी लॉस एंजिल्स में हुए ग्लोबल पीस समिट से लौटे हैं और उनकी जनहित याचिका को लगभग 180 रिटायर आईएएस या आईपीएस अधिकारियों और न्यायाधीशों का समर्थन हासिल है.