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हमास ही फिलिस्तीनियों के लिए बन गया भस्मासुर, इजरायल में 16000 इंडियंस के साथ चीनियों ने जमाया डेरा

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इजरायल में हमास के हमले के बाद दोनों के बीच छिड़ी जंग में अब तक हजारों लोगों की जान जा चुकी है, लेकिन कोई भी पक्ष झुकने को तैयार नहीं. इस लड़ाई की वजह से इजरायल को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. हमास के हमले में कई बिल्डिंगें जमींदोज हो गईं और इसी वजह से लोग शेल्टरों में रहने के लिए मजबूर हैं, लेकिन अब बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार नई इमारतों का निर्माण जोरशोर से कर रही है और इसके लिए दूसरे देशों खासकर भारत और चीन से बड़ी संख्या में श्रमिक मंगाए गए हैं. जंग की शुरुआत से पहले इजरायल में कंस्ट्रक्शन का काम फिलिस्तीन मजदूर ही करते थे, लेकिन हमास के हमले ने सब बदलकर रख दिया. अब उनके इजरायल में घुसने पर पाबंदी है. ऐसे में अगर यह कहा जाए कि हमास ही फिलिस्तीनियों के लिए भस्मासुर बन गया है, तो गलत नहीं होगा.

श्रमिक इज़रायल सरकार की एक खास योजना का हिस्सा हैं, जिसका मकसद हमास के 7 अक्टूबर 2023 के हमले के बाद इज़रायल में ना घुसने से हुए हजारों फिलिस्तीनी कंस्ट्रक्शन वर्कर्स की कमी को भरना है. अगर यह हमला न हुआ होता, तो इस साइट पर काम करने वाले श्रमिकों की आवाज़ें अरबी में होतीं, न कि हिंदी, हिब्रू और यहां तक कि मंदारिन में, जैसा कि आज सुनाई देती हैं.

हमास के हमले ने गाजा पट्टी में इजरायल और हमास के बीच अब तक का सबसे घातक युद्ध छेड़ दिया. यह बाद में अन्य ईरान समर्थित समूहों जैसे लेबनान में हिज़्बुल्लाह और यमन में हूती विद्रोहियों तक फैल गया, और यहां तक कि इस्लामी गणराज्य (ईरान) के साथ सीधे टकराव तक पहुंच गया. इस सबके बावजूद, 35 वर्षीय निशाद को इजरायल आने से कोई नहीं रोक सका. कई हवाई हमलों की चेतावनी के बाद उन्हें शेल्टर की ओर भागने पर मजबूर होना पड़ता है, फिर वह कहते हैं कि “यहां डरने की कोई बात नहीं है.” उन्होंने एएफपी को बताया, “जैसे ही (सायरन) बंद होता है, हम बस अपना काम फिर से शुरू कर देते हैं.”

इज़राइल में हाई इनकम, जहां कुछ कामगार अपने देश में मिलने वाली आय से तीन गुना कमा सकते हैं, यही कारण है कि निशाद जैसे लोग हजारों किलोमीटर दूर यहां आते हैं. निशाद ने कहा, “मैं भविष्य के लिए बचत कर रहा हूं, समझदारी से निवेश करने और अपने परिवार के लिए कुछ महत्वपूर्ण करने की योजना बना रहा हूं.” वह उन लगभग 16,000 कामगारों में से एक हैं जो पिछले साल भारत से आए हैं – और इज़रायल की योजना है कि वह और हजारों कामगारों को लाए.