इन दिनों वर्क-लाइफ बैलेंस काफी चर्चा में है. इन्फोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति कई बार वर्क कल्चर को लेकर बयान दे चुके हैं. वह सप्ताह में 70 घंटे काम करने की वकालत करते हैं. अब अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी ने भारतीय कॉरपोरेट जगत में चल रहे बहुचर्चित वर्क-लाइफ बैलेंस के विषय पर एक मजेदार और मजाकिया अंदाज में बात की है.
TOI की रिपोर्ट अडानी ने इस बात पर जोर दिया कि वर्क-लाइफ बैलेंस हासिल करने के लिए अपने काम का आनंद लेना बहुत जरूरी है. उन्होंने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “आठ घंटे परिवार के साथ बिताएंगे तो बीवी भाग जाएगी.” अडानी ने कहा कि वर्क-लाइफ बैलेंस व्यक्तिगत पसंद का मामला है. उन्होंने आगे कहा ”वर्क-लाइफ बैलेंस का आपका विचार मुझ पर नहीं थोपा जाना चाहिए और वर्क-लाइफ बैलेंस का मेरा विचार आप पर नहीं थोपा जाना चाहिए. मान लीजिए, कोई व्यक्ति परिवार के साथ चार घंटे बिताता है और उसमें आनंद पाता है. या यदि कोई अन्य व्यक्ति आठ घंटे बिताता है और उसका आनंद लेता है, तो यह उसका वर्क-लाइफ बैलेंस है. हालांकि, यदि आप अपने परिवार के साथ आठ घंटे बिताते हैं, तो बीवी भाग जाएगी.”
नारायण मूर्ति के बाद अडानी की टिप्पणी
मालूम हो कि अडानी समूह के अध्यक्ष की टिप्पणी इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति के 70 घंटे के कार्य सप्ताह के सुझाव पर चल रही बहस और चर्चाओं के बीच आई है. मूर्ति ने पहले अपने करियर के दौरान सप्ताह में 90 घंटे तक काम करने की बात कही है और कड़ी मेहनत को उन लोगों के लिए एक जिम्मेदारी के रूप में रखा है, जिन्हें सरकारी सब्सिडी वाली शिक्षा का लाभ मिला है. उन्होंने जोर देकर कहा कि वर्क-लाइफ बैलेंस तब प्राप्त होता है जब व्यक्ति उन गतिविधियों में संलग्न होता है. अडानी ने इंटरव्यू में कहा, “हमारे पास इसके अलावा कोई दुनिया नहीं है. हमारे बच्चे भी यही देखते हैं और इसे अपनाते हैं. वे भी उतने ही मेहनती हैं.”
अडानी ने इंटरव्यू में आगे कहा, ”जब आप वह काम करते हैं जो आपको पसंद है, तो आपका काम और जीवन संतुलित होता है. हमारे लिए या तो परिवार है या काम; हमारे पास इसके अलावा कोई दुनिया नहीं है. हमारे बच्चे भी यही देखते हैं और इसे अपनाते हैं. वे भी उतने ही मेहनती हैं.”
अडानी ने बताया कैसे जीवन हो जाता है सरल
उन्होंने इंटरव्यू में आगे कहा, ”व्यक्तिगत चरित्र और विनम्रता सबसे महत्वपूर्ण चीजें हैं. मेरे हिसाब से बाकी सब बनावटी है, जिसमें आपकी संपत्ति भी शामिल है. आप जो खाते हैं, मैं भी वही खाता हूं. पैसा आपको यह तय करने की शक्ति देता है कि आप इसका उपयोग करके क्या और कैसे प्रभाव डाल सकते हैं. हर कोई जीवन की यात्रा से गुजर रहा है. कोई भी यहां स्थायी रूप से जीने के लिए नहीं है. जब कोई व्यक्ति यह समझ जाता है, तो जीवन सरल हो जाता है.”