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‘चुनावी बॉन्ड के जरिए पार्टियों को मिले फंड का डेटा दें’, सुप्रीम कोर्ट का चुनाव आयोग को निर्देश

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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) को 30 सितंबर, 2023 तक चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को प्राप्त धन (चंदे) का अपडेट डेटा सीलबंद लिफाफे में पेश करने का निर्देश दिया. चीफ जस्टिस CJI डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने 12 अप्रैल, 2019 को शीर्ष अदालत द्वारा पारित अंतरिम निर्देश का हवाला दिया, जिसमें राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से प्राप्त धन का विवरण एक सीलबंद लिफाफे में आयोग को सौंपने का निर्देश दिया गया था.

संविधान पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी. आर. गवई, जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे. पीठ ने कहा कि अप्रैल 2019 का आदेश उसी तारीख तक सीमित नहीं था, जिस दिन इसे सुनाया गया था और यदि कोई अस्पष्टता थी, तो आयोग के लिए यह जरूरी था कि वह शीर्ष अदालत से स्पष्टीकरण मांगें.

संविधान पीठ ने राजनीतिक दलों के चंदे से संबंधित चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दलीलें सुनते हुए कहा कि आयोग के पास अपडेट डेटा होना चाहिए. पीठ ने आदेश दिया, “किसी भी स्थिति में अब हम निर्देश देते हैं कि निर्वाचन आयोग 12 अप्रैल, 2019 को जारी अंतरिम निर्देश के संदर्भ में 30 सितंबर, 2023 तक अपडेट डेटा पेश करेगा.” आदेश में कहा गया है कि यह प्रक्रिया दो सप्ताह के भीतर पूरी की जाए और डेटा सीलबंद लिफाफे में शीर्ष अदालत के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को सौंप दिया जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) को 30 सितंबर, 2023 तक चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को प्राप्त धन (चंदे) का अपडेट डेटा सीलबंद लिफाफे में पेश करने का निर्देश दिया. चीफ जस्टिस CJI डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने 12 अप्रैल, 2019 को शीर्ष अदालत द्वारा पारित अंतरिम निर्देश का हवाला दिया, जिसमें राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से प्राप्त धन का विवरण एक सीलबंद लिफाफे में आयोग को सौंपने का निर्देश दिया गया था.

संविधान पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी. आर. गवई, जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे. पीठ ने कहा कि अप्रैल 2019 का आदेश उसी तारीख तक सीमित नहीं था, जिस दिन इसे सुनाया गया था और यदि कोई अस्पष्टता थी, तो आयोग के लिए यह जरूरी था कि वह शीर्ष अदालत से स्पष्टीकरण मांगें.

संविधान पीठ ने राजनीतिक दलों के चंदे से संबंधित चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दलीलें सुनते हुए कहा कि आयोग के पास अपडेट डेटा होना चाहिए. पीठ ने आदेश दिया, “किसी भी स्थिति में अब हम निर्देश देते हैं कि निर्वाचन आयोग 12 अप्रैल, 2019 को जारी अंतरिम निर्देश के संदर्भ में 30 सितंबर, 2023 तक अपडेट डेटा पेश करेगा.” आदेश में कहा गया है कि यह प्रक्रिया दो सप्ताह के भीतर पूरी की जाए और डेटा सीलबंद लिफाफे में शीर्ष अदालत के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को सौंप दिया जाए.

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