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अब ट्रंप ने दे दिया ‘मेक इन यूएस’ का नारा, न मानने वालों को साथ में दी टैरिफ वाली धमकी

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अभी दुनियाभर में सस्ते चाइनीज प्रोडक्ट्स की काफी डिमांग है. हमारे घरों तक पहुंचने वाली लगभग हर चीज मेड इन चाइना (Made In China) मार्क के साथ आती थी. लेकिन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेक इन इंडिया का नारा दिया और वैश्विक कंपनियों को भारत में आने के लिए आमंत्रित किया. इन्सेंटिव भी रखे गए. नतीजतन कई कंपनियों में भारत में अपनी यूनिट्स लगाईं और यहीं पर प्रोडक्शन शुरू किया. अब इसी तर्ज पर अमेरिका ने नए राष्ट्रपति ने मेक इन यूएस (Make in US) का नारा दे दिया है. साथ ही उन्होंने यह धमकी भी दी है कि यदि कंपनियां ‘मेक इन यूएस’ को फॉलो नहीं करती हैं, तो उन पर भारी-भरकम टैक्स (टैरिफ) लगाया जाएगा.

डोनाल्ड ट्रंप ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) में अपने भाषण के दौरान ऐलान किया कि अमेरिका में उत्पाद बनाने वाली कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स को घटाकर 15 प्रतिशत तक लाया जाएगा. वर्तमान में यह दर 21 प्रतिशत है, जो 2017 के टैक्स कट्स एंड जॉब्स एक्ट (Tax Cuts and Jobs Act) के बाद लागू हुई थी. ट्रंप का कहना था, “हम अमेरिका में नौकरियों का सृजन करेंगे. अगर आप अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग नहीं करते हैं, तो आपको टैरिफ का सामना करना पड़ेगा.”

अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि उनका प्रशासन सरकारी खर्चों और बढ़ती उधारी लागत से निपटने के लिए तेजी से कदम उठाएगा. उनका यह बयान अमेरिकी अर्थव्यवस्था को स्टेबल बनाने एक बड़ी योजना का हिस्सा लगता है. इसके अलावा, उन्होंने अमेरिकी तेल और गैस उत्पादन पर भी जोर दिया. कहा, “हमारे पास दुनिया के सबसे बड़े तेल और गैस भंडार हैं, और हम इसे पूरी क्षमता से उपयोग करेंगे. साथ ही, मैं सऊदी अरब और ओपेक देशों से तेल की कीमतें कम करने के लिए कहूंगा.”

चीन के लिए भी संदेश
ट्रंप का यह कदम केवल अमेरिकी हितों तक सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक संदेश है. चीन के साथ व्यापार वार्ता के संदर्भ में उन्होंने कहा कि यदि चीन उनकी शर्तों पर सहमत नहीं होता है, तो अमेरिका के पास टैरिफ जैसे “मजबूत हथियार” हैं.

‘मेक इन यूएस’ अभियान के तहत ट्रंप ने न केवल कर दरों में कटौती की बात की, बल्कि उन्होंने व्यापार के नियमों को सरल बनाने का भी वादा किया. उन्होंने कहा कि हर नई सरकारी नीति के बदले 10 पुरानी नीतियों को समाप्त किया जाएगा. उनका मानना है कि यह कदम व्यवसायों को सशक्त करेगा और नागरिकों की आय बढ़ाएगा.