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पाकिस्तानी दिमाग को सड़ाने लगा है यह घातक अमीबा, कई मौत से हड़कंप, क्या करेगा भारत में प्रवेश, जानें लक्षण और कारण

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पाकिस्तान में एक नए तरह के अमीबा से हड़कंप मच गया है. इस अमीबा के कारण अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है. कराची शहर सबसे ज्यादा प्रभावित है. वहां के प्रशासन ने लोगों को इस अमीबा के प्रति एहतियात बरतने को कहा है. सिंध हेल्थ डिपार्टमेंट ने लोगों से कहा कि वे स्विमिंग पूल में सतर्कता के साथ प्रवेश करें. जिस पूल का पानी क्लोरोनेटेड न हो, उस पूल में स्नान न करें. साथ ही जहां आपको पानी में नाक नीचे कर नहाना हो, वहां बेहद एहतियात के साथ नहाएं और देखें कि सब कुछ साफ-सुथरा है या नहीं. यह अमीबा सीधे दिमाग में घुस जाता है और दिमाग को खाने लगता है. अगर मामला बिगड़ गया तो मरीज की मौत निश्चित है. इस अमीबा का नाम है नेगलेरिया फाउली. इसमें एक सप्ताह तक तेज बुखार होता है और अंगों की शिथिलता के बाद रोगी की मौत हो जाती है.

क्या है नेगलेरिया फाउलेरी

नेगलेरिया फाउलेरी झीलों, हॉट स्प्रिंग और खराब रख-रखाव वाले पूलों में पाया जाता है. यह एक कोशकीय जीव है जो नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सीधे मस्तिष्क को संक्रमित करने लगता है. दूषित जल से यह एक जगह से दूसरी जगह जा सकता है. संक्रमण होने से पूरे मस्तिष्क में सूजन होने लगती है जिससे कोशिकाएं नष्ट होने लगती है. हालांकि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता.

क्या भारत में कर सकता है प्रवेश

इसी साल जुलाई में केरल के अलाप्पुझा जिले में एक व्यक्ति की ब्रेन इटिंग अमीबा के संक्रमण के कारण मौत हो गई थी. यह अमीबा एक आदमी से दूसरे आदमी में नहीं पहुंचता है. इसलिए पाकिस्तान से यहां आने का कोई सवाल नहीं. जहां दूषित जल हो वहां इसके पनपने का खतरा रहता है.

नेगलेरिया फाउलेरी के संक्रमण के लक्षण

क्लीवलैंड क्लिनिक के मुताबिक नेगलेरिया फाउलेरी अमीबा का जब संक्रमण होता है तो प्राइमरी अमोबिक मेनिंजोसिफलाइटिस (PAM) होता है. इसके लक्षण में बहुत तेज बुखार होता है. सिर दर्द इतना तेज होता है कि इसमें बहुत दर्द करता है. इसके साथ ही उल्टी और मतली भी होती है. ठंड इतनी ज्यादा लगती है कि शरीर में कंपकंपी होने लगती है. मेनीनजाइटिस में जो लक्षण होते हैं, वही इस बीमारी भी लक्षण दिखते हैं. दिमागी रूप से मरीज कंफ्यूज होने लगता है. गंभीर स्थिति में कोमा में पहुंच जाता है और अंत में रोगी की मृत्यु भी हो सकती है.

क्या इसका इलाज है

हालांकि इस अमीबा का संक्रमण बहुत कम होता है, इसलिए इस पर रिसर्च भी बहुत कम है. इस बीमारी के लिए कोई दवा अब तक विकसित नहीं हुई है लेकिन एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल दवाओं से इसे ठीक किया जा सकता है. कुछ लोगों को इस बीमारी में मौत के मुंह से बचाया गया है. मिल्टेफोसिन की प्रभावकारिता देखी गई है. हालांकि इस बीमारी में मृत्यु दर 97 प्रतिशत है.

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