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बजट 2025 : रुपये की ‘सेहत’ सुधारने का भी होगा इंतजाम, हो सकती हैं ये घोषणाएं

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आगामी बजट में सरकार रुपये को मजबूत करने वाले उपायों की घोषणा कर सकती है. अर्थशास्त्रियों और ऋण कोष प्रबंधकों को उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा बैंकिंग प्रणाली में लिक्विडिटी बढाए जाने के लिए उठाए गए कदमों के बाद वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण भी बजट में कुछ ऐसी घोषणाएं करेंगी, जो गिरते रुपये को संभालने में मददगार होंगी.

पिछले कुछ महीनों में वैश्विक स्तर पर डॉलर मजबूत हुआ है, लेकिन इसके बावजूद रुपया अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं—जैसे ब्राजील, कोरिया और तुर्की की मुद्राओं—की तुलना में अधिक स्थिर बना रहा. हालांकि, हाल ही में रुपया 86 प्रति डॉलर के स्तर से नीचे गिरकर 87 के करीब पहुंच गया था, लेकिन अब इसमें सुधार देखा जा रहा है. मंगलवार को यह 86.52 प्रति डॉलर पर बंद हुआ.

बजट में हो सकते हैं निर्यात प्रोत्साहन के उपाय
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि सरकार निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कुछ प्रोत्साहन उपायों की घोषणा कर सकती है. इससे रुपये को अल्पकालिक समर्थन मिलेगा और दीर्घकालिक रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ होगा. इसके अलावा सरकार विदेशी जमा (फॉरेन डिपॉजिट) को आकर्षित करने के लिए बैंकों को अधिक ब्याज दर देने की अनुमति देने जैसे उपायों पर विचार कर सकती है. हालांकि, 2013 की तरह बड़े पैमाने पर अनिवासी भारतीय (NRI) जमा जुटाने की योजना की संभावना बेहद कम है.

मुद्रा प्रबंधन नीति में बदलाव
एक ऋण कोष प्रबंधक के अनुसार, भारत की मुद्रा प्रबंधन नीति का लक्ष्य रुपये को किसी निश्चित स्तर पर बनाए रखना नहीं रहा है, बल्कि इसकी व्यवस्थित गति सुनिश्चित करना रहा है. इस नीति के तहत, ब्याज दरों के अंतर को संतुलित करने के लिए मौद्रिक नीति (मॉनेटरी पॉलिसी) का उपयोग किया जाता रहा है. साथ ही मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप भी रुपये को स्थिर बनाए रखने का एक प्रमुख साधन रहा है.

हालांकि, हाल के दिनों में आरबीआई ने मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप से परहेज किया है ताकि घरेलू विकास और मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए धन बाजार (Money Market) में तरलता की कमी न हो. इसके अलावा केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति में ढील की सुगम ट्रांसमिशन सुनिश्चित करने के लिए रुपये की तरलता भी बढ़ा रहा है.

आरबीआई बढा रहा है मुद्रा आपूर्ति
विशेषज्ञों का कहना है कि बैंकिंग प्रणाली में तरलता मुद्रा आपूर्ति का संकेतक होती है. मौजूदा स्थिति में डॉलर की बिक्री की अनुपस्थिति और RBI द्वारा खुले बाजार खरीद (OMO) के माध्यम से रुपये की तरलता बढ़ाने की नीति मुद्रा आपूर्ति को कम करने के बजाय बढ़ा रही है. इससे यह संकेत मिलता है कि अब रुपये को स्थिर करने के लिए नए उपायों पर विचार किया जा रहा है, न कि केवल तरलता और ब्याज दरों के जरिए इसे नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है.