अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत सहित कई देशों पर अमेरिकी उत्पादों पर भारी आयात शुल्क लगाने का आरोप लगाया. उन्होंने खासतौर पर ऑटोमोबाइल टैरिफ को लेकर भारत को निशाने पर लिया. लेकिन आंकड़े बताते हैं कि असली समस्या गाड़ियों पर नहीं, बल्कि खाने-पीने की चीजों, शराब और अन्य उपभोक्ता वस्तुओं पर ज्यादा टैरिफ लगने की है. 2023 में अमेरिका के कुल 7.3 अरब डॉलर के निर्यात पर 60% या उससे ज्यादा आयात शुल्क लगाया गया. इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले उत्पादों में फूड सप्लीमेंट्स, डक मीट, ऑयलसीड्स, कालीन और मैपल सिरप शामिल रहे.
अकेले फूड प्रोडक्ट्स पर ही 1.1 अरब डॉलर का निर्यात उच्च शुल्क की वजह से प्रभावित हुआ. इसके बाद डक मीट और ऑयलसीड्स का नंबर आता है, जिन पर क्रमशः 772 मिलियन डॉलर और 716 मिलियन डॉलर के निर्यात पर भारी टैरिफ लगाया गया. ट्रंप ने अपने भाषण में भारत को उच्च टैरिफ लगाने वाला बड़ा देश बताया, लेकिन आंकड़े इसके विपरीत हैं. रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के उन शीर्ष 10 उत्पादों में, जो उच्च टैरिफ झेल रहे हैं, भारत का योगदान सिर्फ 0.2% है. वहीं, ऑटोमोबाइल सेक्टर अमेरिका के लिए बड़ा मुद्दा नहीं है, बल्कि सबसे ज्यादा टैरिफ खाने-पीने की चीजों, शराब और अन्य उपभोक्ता वस्तुओं पर लगाया गया है.
इंडोनेशिया और थाईलैंड भी शामिल हैं. अमेरिकी बियर पर 14 देशों में 60% या उससे अधिक शुल्क लगाया गया, जबकि वोडका और रम को भारत समेत 13 अन्य देशों में भारी टैरिफ झेलना पड़ा. पिछली रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया कि केवल 0.4% अमेरिकी निर्यात ही उच्च टैरिफ के दायरे में आता है.
इस सूची में भारत नौवें स्थान पर है, जबकि कोरिया, मैक्सिको, कनाडा और चीन अमेरिका के निर्यात पर सबसे अधिक शुल्क लगाने वाले देशों में शामिल हैं. ट्रंप का दावा है कि भारत अमेरिका से निर्यात होने वाली गाड़ियों पर भारी टैरिफ लगाता है, लेकिन असली मुद्दा यह नहीं है. असल चुनौती उन खाद्य उत्पादों और शराब पर लगने वाले शुल्क की है, जो अमेरिका के लिए बड़े निर्यात क्षेत्र हैं. ऐसे में आने वाले समय में यह व्यापारिक विवाद और गहराने की संभावना है.