टैरिफ वॉर गहराने की आशंका से दुनियाभर के शेयर बाजारों में सोमवार (7 अप्रैल) को भारी गिरावट आई है. भारत का शेयर बाजार भी इससे अछूते नहीं हैं. निफ्टी में 10 महीने की बड़ी गिरावट देखने को मिली. शेयर बाजार में आखिरी बार इतनी तेज गिरावट 4 जून 2024 को लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद आई थी. भारी गिरावट का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि केवल एक दिन (सोमवार) में निवेशकों को इतना नुकसान हुआ, जो सरकार एक साल के खर्चा से भी कम है. वित्त वर्ष 2025-26 में कैपेक्स आवंटन 11.21 लाख करोड़ रुपये है जबकि सोमवार को शेयर बाजार के निवेशकों को 13 लाख करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ.
सोमवार को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के सभी सेक्टर इंडेक्स मे बिकवाली रही. बीएसई का मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स 3.8 फीसदी और 4.5 फीसदी की गिरावट देखने को मिली. सभी सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में बंद हुआ. कारोबार के अंत में बीएसई का सेंसेक्स 2226.79 अंक यानी 2.95 फीसदी की गिरावट के साथ 73,137.90 के लेवल पर बंद हुआ जबकि निफ्टी 742.85 अंक यानी 3.24 फीसदी की गिरावट के साथ 22,161.60 के लेवल पर क्लोज हुआ. सोमवार के कारोबार में Trent, Tata Steel, JSW Steel, Hindalco Industries और L&T निफ्टी के टॉप लूजर रहे जबकि Hindustan Unilever टॉप गेनर रहा.
निवेशकों के ₹13.42 लाख करोड़ का नुकसान
बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप 7 अप्रैल को घटकर 389.92 लाख करोड़ रुपये पर आ गया, जो बीते कारोबारी दिन (4 अप्रैल) को 403.34 लाख करोड़ रुपये रहा था. इस तरह बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप आज करीब 13.42 लाख करोड़ रुपये घटा है. आसान भाषा में कहें तो तो आज निवेशकों की संपत्ति में करीब 13.42 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आई.
1. ग्लोबल मार्केट में बिकवाली का तूफान-
डोनाल्ड ट्रांप के टैरिफ से दुनियाभर के शेयर बाजारों में सोमवार (7 अप्रैल) को भारी गिरावट आई है. ग्लोबल मार्केट में बिकवाली का असर भारतीय निवेशकों के मनोबल पर भी पड़ा है.
2. आर्थिक मंदी का डर-
ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी से महंगाई बढ़ने और कंज्यूमर सेंटीमेंट कमजोर होने की आशंका है. इससे ग्लोबल इकोनॉमी पर असर पड़ सकता है. जेपी मॉर्गन ने ग्लोबल मंदी आने की आशंका को 40 फीसदी से 60 फीसदी कर दिया है.
3. FPI की बिकवाली फिर शुरू-
मार्च महीने में एफपीआई ने भारतीय शेयरों में खरीदारी की थी लेकिन अप्रैल में एक बार फिर बिकवाली शुरू कर दी है.
4. RBI एमपीसी की बैठक
आरबीआई एमपीसी की तीन दिवसीय बैठक 7 अप्रैल को शुरू हो गई है. निवेशकों को उम्मीद है कि बढ़ते ग्लोबल जोखिमों को देखते हुए आरबीआई नीतिगत ब्याज दरों में कटौती कर सकता है.