बीते कुछ महीनों से छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद (Naxalism) की कमर टूट रही है. जिस तरीके से नक्सलियों का सफाया हो रहा है उससे लाल आंतक में डर बैठ गया है. इसी बात का प्रमाण है कि भारी संख्या में नक्सली हथियार डाल रहे हैं. वहीं सरकार की ओर से लगातार यह अपील की जा रही है कि गोली से नहीं बोली से काम चलेगा. यानी नक्सली बात करें तो उनकी समस्याओं का समाधान होगा, उन्हें मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा. इसके लिए सरकार योजनाएं भी चला रही है. कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ सरकार जिस ढंग से नक्सल पर प्रहार कर रही है, उससे उसकी चारों ओर तारीफ हो रही है. पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह तक कई बार इस बारे में सरकार की पीठ थपथपा चुके हैं. वहीं अब कांग्रेस के नेता भी सरकार की तारीफ कर रहे हैं.
हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री ने छत्तीसगढ़ में घोषणा की है कि जो गांव नक्सलियों के आत्मसमर्पण में सहयोग करेंगे, उन्हें “नक्सली मुक्त गांव” घोषित कर 1 करोड़ रुपये की विकास निधि दी जाएगी. उन्होंने अपील की कि ग्राम सभा कर गांवों को सरेंडर की प्रक्रिया में आगे लाएं. अमित शाह ने स्पष्ट कहा है कि जो नक्सली हथियार छोड़ देंगे, उन्हें पूरी सुरक्षा और सम्मान के साथ मुख्यधारा में लाया जाएगा. लेकिन जो हथियार नहीं डालेंगे, उनके विरुद्ध सुरक्षाबल कड़ी कार्रवाई करेगी.