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भारत ने बिछा दी पाकिस्‍तान की तबाही की बिसात, शाहबाज शरीफ ने जिसके सत्‍ता में आने पर मनाई ईद, वही बना दुश्‍मन

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पहलगाम में टेरर अटैक के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्‍च कर पाकिस्‍तानी सेना और आतंकवादियों को ऐसा सबक सिखाया है, जिसे वे दशकों तक याद रखेंगे. इसके बाद भारत ने अब पाकिस्‍तान के खिलाफ इंटरनेशनल लेवल पर डिप्‍लोमेटिक कैंपेन छेड़ दिया है. भारतीय सांसदों का प्रतिनिधिमंडल इन दिनों पूरी दुनिया के दौरे पर है, ताकि पाकिस्‍तान के वहशी चेहरे को पूरी तरह से बेनकाब कर उसकी असलियत के बारे में सबको बताया जा सके. पहलगाम टेरर अटैक के तुरंत बाद भारत ने सिंधु जल समझौते को अनिश्‍च‍ित काल तक के लिए निलंबित कर इस्‍लामाबाद को पहली बड़ी चोट दी थी. इसके बाद ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकवादियों के कैंप को तबाह करने के साथ ही पाकिस्‍तानी फौज के एयरबेस को टारगेट कर सीधा और स्‍पष्‍ट संदेश दे दिया था. अब भारत ने कूटनीतिक स्‍तर पर एक और गहरी चाल चली है, जिससे पाकिस्‍तान आर्थिक तौर पर तबाही के कगार पर पहुंच सकता है. भारत ने ईरान और अफगानिस्‍तान के साथ मिलकर नया ट्रेड फ्रंट बनाने की प्‍लानिंग पर काम करना शुरू कर दिया है. दिलचस्‍प बात यह है कि इसमें नई दिल्‍ली को अफगानिस्‍तान की तालिबान सरकार का भी पूरा सााि मिल रहा है.

अगस्‍त 2021 की बात है जब तकरीबन दो दशक की लंबी अवधि के बाद विदेशी फौज ने अफगानिस्‍तान को उसकी हालत पर छोड़ कर वहां से रवाना हो गई थी. इसके बाद तालिबान ने काबुल पर कब्‍जा कर लिया और अफगानिस्‍तान में एक बार फिर से उसका राज हो गया. काबुल में तालिबान की वापसी पर पाकिस्‍तान के नेताओं और फौज ने ईद की तरह का जश्‍न मनाया था. अफगानिस्‍तान की तालिबान सरकार को बधाई देने वालों में पाकिस्‍तान चुनिंदा पहले देशों में से एक था. पड़ोसी देश को यकीन था कि अब तालिबान का इस्‍तेमाल भारत के खिलाफ किया जा सकेगा, क्‍योंकि 9/11 घटना के बाद भारत पश्चिमी ताकतों के समर्थन में रहा था. हामिद करजई से लेकर अशरफ गनी तक की सरकार को भारत ने अपना सपोर्ट दिया था. साल 2001 में तालिबान सरकार के पतन के बाद भारत ने अफगानिस्‍तान में डेवलपमेंट का काम भी किया था. इन सबको देखते हुए पाकिस्‍तान को भारत के खिलाफ तालिबान के फुल सपोर्ट की उम्‍मीद थी. हालांकि, पाकिस्‍तान की उम्‍मीदों के उलट घटनाक्रम हुए. यहां तक कि पाकिस्‍तान ने अफगानिस्‍तान सीमा में घुसकर एयर स्‍ट्राइक करने का दावा भी किया. इससे दोनों देशों के रिश्‍ते कफी तल्‍ख हो गए. तालिबान सरकार की पाकिस्‍तान से दूरियां बढ़ गईं. अब तालिबान भारत के समर्थन से नई प्‍लानिंग कर रहा है.