भारतीय कुश्ती संघ (डब्ल्यूएफआई) को केंद्र सरकार ने सस्पेंड कर दिया है. खेल मंत्रालय ने डब्ल्यूएफआई की पूरी नवनिर्वाचित टीम को सस्पेंड कर दिया है. इतना ही नहीं, सरकार ने भारतीय कुश्ती संघ के सभी फैसलों पर रोक लगा दी है. सरकार के इस फैसले के बाद अब संजय सिंह अध्यक्ष नहीं रहेंगे. हाल ही में डब्ल्यूएफआई के चुनाव में जीत का परचम लहराने वाले संजय सिंह को भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह का विश्वासपात्र माना जाता है.
संजय सिंह भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के कई बार लंबित हुए चुनावों में गुरुवार को अध्यक्ष पद पर आसान जीत दर्ज करने में सफल रहे थे. उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों की पूर्व स्वर्ण पदक विजेता अनिता श्योराण को हराया था. उनके पैनल ने 15 में से 13 पद पर जीत दर्ज की थी. चुनावों के नतीजों ने प्रदर्शनकारी पहलवानों को काफी निराश किया और ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने खेल से संन्यास लेने का फैसला किया था.
संजय को कितने वोट मिले थे
उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष संजय को 40 जबकि उनकी प्रतिद्वंद्वी और राष्ट्रमंडल खेलों की पूर्व स्वर्ण पदक विजेता अनिता श्योराण को सिर्फ सात मत मिले थे. आरएसएस से जुड़े संजय वाराणसी के रहने वाले हैं और बृजभूषण के बहुत करीबी सहयोगी हैं. संजय सिंह के पैनल ने उपाध्यक्ष के चारों पद अपने नाम किए थे, जिसमें दिल्ली के जय प्रकाश (37), पश्चिम बंगाल के असित कुमार साहा (42), पंजाब के करतार सिंह (44) और मणिपुर के एन फोनी (38) ने जीत हासिल की.
कौन हैं संजय सिंह?
मूल रूप से वाराणसी के रहने वाले संजय सिंह को बृजभूषण का करीबी माना जाता है. दोनों करीबी दोस्त हैं. वो 2008 से कुश्ती से जुड़े हैं. 2009 में बृजभूषण जब यूपी कुश्ती संघ के अध्यक्ष बने थे, तब संजय वहां उपाध्यक्ष थे. संजय सिंह की शिक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हुई. बचपन से ही संजय कुश्ती से जुड़े रहे हैं. उनके दादा कन्हैया सिंह बनारस में हर महाशिवरात्रि पर बहुत बड़ा कुश्ती का दंगल कराते थे. उनके परिवार में कई पहलवानों ने जन्म दिया, जिसमें मंगला राय का नाम भी शामिल है.