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अरविंद केजरीवाल को यूं ही नहीं मिली जमानत… अभिषेक सिंघवी की इन दलीलों ने कैसे तोड़ा तिहाड़ का ताला

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अरविंद केजरीवाल को जमानत मिल गई. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली शराब घोटाला से जुड़े सीबीआई मामले में केजरीवाल को शुक्रवार को जमानत दी. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने अरविंद केजरीवाल को 10 लाख रुपये के मुचलके और दो बेल राशियों पर जमानत दी. अरविंद केजरीवाल को यू हीं जमानत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट में अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलों ने बड़ा काम किया. तो चलिए जानते हैं कि आखिर अरविंद केजरीवाल को जमानत कैसे मिली और कौन-कौन सी दलीलों ने काम आसान बनाया.

सबसे पहले जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को किन शर्तों पर जमानत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को इस मामले में सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं करने का निर्देश दिया. दोनों जजों ने सहमति से जमानत दी है. बेंच ने अपने फैसले में कहा कि अपीलकर्ता की गिरफ्तारी अवैध नहीं थी और जांच के उद्देश्य से किसी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार करने में कोई बाधा प्रतीत नहीं होती, जो पहले से ही किसी अन्य मामले में हिरासत में हो.

अब जानते हैं कि कैसे मिली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत और वो कौन कौन सी सिंघवी की प्रमुख दलीलें थीं. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के तरफ से उनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने जो दलीलें दी थीं, उसी की वजह से अरविंद केजरीवाल के लिए तिहाड़ का ताला टूटा है. सुप्रीम कोर्ट में जब सुनवाई हुई तो सीबीआई की दलीलों पर सिंघवी अक्सर भारी पड़े. यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला केजरीवाल के पक्ष में है. तो चलिए जानते हैं सिंघवी की दलीलों को एक नजर में.

अभिषेक सिंघवी की दलीलें:

  • जो व्यक्ति संवैधानिक पदाधिकारी है, उसके फरार होने का जोखिम नहीं हो सकता है.
  • ट्रिपल टेस्ट की शर्तें केजरीवाल के फेवर में हैं. सबूतों के साथ छेड़छाड़ की संभावना नहीं हैं.
  • ईडी मामले में 9 चार्जशीट और सीबीआई के मामले में 5 चार्जशीट दाखिल हुए हैं.
  • सीबीआई ने जिन आधारों पर गिरफ्तारी की, वो जनवरी के थे. लेकिन 25 जून को गिरफ्तार किया गया.
  • सीबीआई के पास कोई नया सबूत नहीं था. सिर्फ जनवरी के एक बयान के आधार पर केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया है.
  • गिरफ्तारी का एक मात्र आधार यह है कि जांच में केजरीवाल सहयोग नहीं कर रहे है और जवाब देने में टाल मटोल कर रहे हैं.
  • सिंघवी ने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए के कड़े प्रावधान पर रिहाई के दो विस्तृत आदेश दिए हैं. तीसरा अग्रिम जमानत देता है. ये एक इंश्योरेंस गिरफ्तारी है.
  • एफआईआर के 8 महीने बाद केजरीवाल को पूछताछ के लिए बुलाया गया. पीएमएलए के तहत दोहरी शर्तो का प्रावधान है. इन सख्त नियमों के बावजूद हमारे पक्ष में दो फैसले हुए हैं.

सीबीआई ने क्या दलीलें दी थीं

  • सीबीआई की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने निचली अदालत में जमानत याचिका दायर नहीं की है. जबकि मनीष सिसोदिया ने दायर की थी. इसमें कोई तुलना नहीं है.
  • ट्रायल कोर्ट ही मामले की जांच के लिए पहली कोर्ट है. दुर्लभ और असाधारण मामलों में ही सीधे हाई कोर्ट जाया जा सकता है.
  • हाई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को जमानत के लिए निचली अदालत में जमानत याचिका दाखिल करने को कहा था.
  • वे यहां आए और फिर उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और फिर से वे सुप्रीम कोर्ट आए. लेकिन केजरीवाल सांप- सीढ़ी के खेल की तरह शॉर्टकट अपना रहे हैं.
  • कविता की गिरफ्तारी के मामले में इस अदालत ने कहा था कि निचली अदालत में नियमित याचिका दाखिल करें. वह निचली अदालत गई. वहां से जमानत याचिका खारिज होने के बाद, हाई कोर्ट गई उसके बाद सुप्रीम कोर्ट आई. उन्होंने सीधे सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर नहीं की.
  • गिरफ्तारी और जमानत के फैसले एक साथ सुनाए गए. सीबीआई ने कहा कि हाईकोर्ट पर बहुत बोझ है, जब ऐसे मामले आते हैं तो उनका पूरा बोर्ड अव्यवस्थित हो जाता है.
  • मामले की सुनवाई छुट्टी के दिन हुई, क्योंकि वह एक विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्ति है.