देश के आम लोगों का भोजन दाल-रोटी महंगी होने वाली है? कुछ ऐसा ही संकेत देश के प्रमुख दाल मंडियों से आ रहे हैं. दरअसल, केंद्र सरकार ने चार जनवरी को गारंटी मूल्य के साथ तुअर खरीदने का निर्णय लिया था. इसके बाद बाजार में तुअर की कीमत में एक हजार रुपये प्रति क्विंटल तक की गिरावट आई थी. लेकिन, बीते दिनों में उम्मीद के अनुसार अरहर की आवक नहीं आने के कारण भाव चढ़ने लगे हैं.
तुअर की कीमत में एक हजार रुपये प्रति क्विंटल तक की वृद्धि हुई है. हालांकि, उत्पादन कम होने और सरकार की ओर से न्यूनतम समर्थन कीमत पर खरीद की गारंटी मिलने के बाद भाव में तेजी आई है. इस वक्त कीमत साढ़े नौ हजार से साढ़े दस हजार रुपये के बीच है. अरहर दाल देश के लोगों के आहार का महत्वपूर्ण घटक है. अरहर की बढ़ी हुई कीमत का असर अरहर दाल की कीमत पर पड़ना स्वाभाविक है.
मंडी में आवक घटी
जालना कृषि उत्पादन बाजार समिति में प्रतिदिन ढाई से साढ़े तीन हजार बोरी तुअर की आवक होती है. यह आवक पिछले साल का आधा है. आगामी लोकसभा चुनाव मार्च और अप्रैल महीने में हो रहे हैं. इसलिए मार्च महीने तक इसकी कीमत में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं होगी, लेकिन जून और जुलाई महीने में तुअर की कीमत ठीकठाक बढ़ सकती है.
जालना के व्यवसायी संजय कनाडे ने अनुमान जताया है कि यह कीमत 14 से 15 हजार का आंकड़ा पार कर सकती है. जालना बाजार में तुअर की आवक प्रतिदिन 2500 से 3500 बोरी तक है. इस साल बारिश नहीं लौटने के कारण तुरी के उत्पादन में काफी कमी आई है. शुरुआत में तुअर का मार्केट 8500 से 9500 था. लेकिन जैसे ही केंद्र सरकार ने न्यूनतम मूल्य पर खरीदने की घोषणा की, इसमें एक हजार रुपये तक की बढ़ोतरी हो गई है. हालांकि इस साल लोकसभा चुनाव के कारण तुअर का बाजार बढ़ने की फिलहाल कोई संभावना नहीं है.