भारतीय रेलवे की अधिकतर सेवाएं अब ऑनलाइन हो चुकी है. टिकटें आप ऑनलाइन ले सकते हैं. लेकिन, इसके साथ ही रेलवे यात्रियों को टिकट काउंटर से भी टिकट लेने की सुविधा प्रदान करता है. अनारक्षित टिकट तो काउंटरों से ही खरीदी जाती हैं. काउंटर से आप रिजर्वेशन भी करा सकते हैं. खास बात यह है कि जहां ऑनलाइन लिए टिकट को यात्रा के समय पास रखना जरूरी नहीं है, वहीं काउंटर से लिए गए टिकट का यात्री के पास होना जरूरी है. ऐसा नहीं होने पर उसे बेटिकट यात्री मानकर जुर्माना लगाया जा सकता है.
अगर यात्री रेलवे टिकट के मोबाइल में सेव फोटो या मोबाइल पर आए मैसेज के सहारे यात्रा करना चाहेगा तो ऐसा नहीं कर पाएगा. काउंटर टिकट पास नहीं है, तो यात्री को कुछ शर्त पूरा करने पर यात्रा की अनुमति दी जा सकती है. सबसे पहले तो उस शख्स को टीटीई के सामने साबित करना होगा कि वह वही यात्री है, जिसके नाम से टिकट बना हुआ है. टीटीई के संतुष्ट होने पर उसे टिकट के दाम के साथ कुछ जुर्माना भी चुकाना होगा.
काउंटर पर बनवाए गए टिकट को रेलवे की किसी खिड़की पर जा कर कैंसिल कराया जा सकता है. ट्रेन छूटने के आधे घंटे तक टिकट कैंसिल कराकर रेलवे से पैसा लिया जा सकता है. यदि टिकट के फोटो पर ट्रेवल की अनुमति दे दी जाएगी तो कुछ लोग इसका गलत फायदा उठा सकते हैं. वे टिकट कैंसिल करा के पैसे वापस ले लेंगे और यात्रा भी कर लेंगे. इस तरह रेलवे को दोहरा घाटा होगा.
आईआरसीटीसी की वेबसाइट या मोबाइल ऐप (IRCTC App) से टिकट बुक कराने पर टिकट को यात्रा के समय साथ रखना जरूरी नहीं होता. यात्री के मोबाइल फोन सीट और बर्थ नंबर के साथ टिकट कंफर्म होने के आए मैसेज को ही रेलवे वैलिड टिकट मानता है. इसे साल 2012 में ही वैलिड किया गया था.
अगर आपने ई टिकट लिया है तो उसे भी पास रखना जरूरी नहीं है. ई-टिकट के मैसेज या स्क्रीनशॉट को ही रेलवे वैध टिकट मानता है. शुरू में यात्री ई-टिकट के प्रिंट आउट पर ही यात्रा करने देता था. लेकिन, ममता बनर्जी जब रेल मंत्री बनी तो 2012 में ही ई टिकट लेने वालों के लिए टिकट का प्रिंट आउट ले कर चलने की बाध्यता खत्म कर दी गई.