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कोई शेयर कितना चढ़ेगा या गिरेगा, ये बात ‘सर्किट’ बताएगा, हर समझदार निवेशक ट्रेड लेने से पहले जरूर करता है चेक

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स्टॉक मार्केट में कोई शेयर कितना गिरेगा या कितना चढ़ेगा? यह कोई नहीं जानता, ऐसा कहना पूरी तरह से सही नहीं है. क्योंकि, शेयरों में गिरावट और बढ़त की सीमा पहले से तय होती है. हालांकि, कई निवेशकों को शायद इसकी जानकारी नहीं हो लेकिन बाजार जोखिम को ध्यान में रखते हुए अपर सर्किट और लोअर सर्किट के कॉनसेप्ट को लाया गया. शेयरों में सर्किट नियम की शुरुआत इसलिए की गई थी ताकि ताकि कोई स्टॉक अचानक से बहुत ज्यादा ना चढ़े या ना बहुत ज्यादा गिरे. लेकिन, क्या आप जानते हैं सर्किट कैसे काम करता, इसे कौन तय करता है?

शेयर बाजार में किसी भी स्टॉक में पैसा लगाने से पहले सर्किट लिमिट को चेक करना चाहिए. खासकर, उन निवेशकों जो इंट्रा डे ट्रेडिंग करते हैं यानी रोजाना काम करते हैं. आइये आपको बताते हैं शेयरों में सर्किट को लेकर क्या नियम हैं.

क्यों लाया गया सर्किट रूल
स्टॉक मार्केट सर्किट ब्रेकर्स का मकसद घबराहट में होने वाली बिक्री को रोकना और बाजार की वॉलेटिलिटी पर कंट्रोल करना है. दरअसल अक्टूबर 1987 में अमेरिकी शेयर बाज़ार में जबरदस्त बिकवाली हुई थी, इसे “ब्लैक मंडे” के तौर पर जाना जाता है. इस मार्केट क्रैश में बड़ी संख्या में निवेशकों को भारी नुकसान हुआ था. इस घटना के बाद अमेरिकी शेयर बाजार में सर्किट-ब्रेकर नियम लागू हुआ. भारत में शेयरों में सर्किट ब्रेकर्स, मार्केट रेगुलेटर सेबी ने 28 जून 2001 में बनाया था. पहली बार इस नियम का इस्तेमाल 17 मई 2004 को किया गया.

क्या है लोअर और अपर सर्किट
शेयरों और इंडेक्स (जिनमें ट्रेडिंग होती है) में सर्किट लिमिट हमेशा लगी होती है. सर्किट दो तरह के होते हैं, पहला अपर सर्किट तो दूसरा लोअर सर्किट. जब किसी शेयर की कीमत अप्रत्याशित रूप से बढ़ती है तो एक तय सीमा तक भाव जाने पर अपर सर्किट लग जाता है.

वहीं, अगर किसी शेयर में बड़ी गिरावट होती है तो एक सीमा के बाद उसमें लोअर सर्किट लग जाता है. सर्किट लगने पर शेयरों में कारोबार रुक जाता है. कुछ परिस्थितियों में शेयरों में ट्रेडिंग पूरे दिन बंद रहती है जबकि कुछ बड़े शेयरों में सर्किट रिवाइज्ड होने के बाद दोबारा कामकाज शुरू हो जाता है.

कैसे तय होती है सर्किट लिमिट
शेयरों में सर्किट लिमिट एक्सचेंज द्वारा तय होती है. सर्किट 5, 10, 15 और 20 फीसदी तक होते हैं. कुछ छोटे टिकट साइज शेयरों में सर्किट लिमिट 2 और 2.50 फीसदी भी होती है. हालांकि, कैश मार्केट और फ्यूचर एंड ऑप्शन सेगमेंट के शेयरों में अपर और लोअर सर्किट से जुड़े नियम अलग-अलग होते हैं. F&O सेगमेंट के शेयरों में एक दिन में कई बार सर्किट लगते हैं.

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