इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट (IGIA) पर इमीग्रेशन ब्यूरो के अधिकारियों ने कजाकिस्तान से इमरजेंसी सर्टिफिकेट पर आए गुरप्रीत सिंह के पासपोर्ट की जांच में पाया कि वह भारतीय पासपोर्ट का इस्तेमाल कर भूटान और थाईलैंड गया था. बाद में, वह वीजा ऑन अराइवल पर कजाकिस्तान पहुंचा. कजाकिस्तान के अल्माती एयरपोर्ट पर उसके पासपोर्ट से पेज संख्या 13, 14, 23 और 24 गायब पाए गए, जिसके चलते उसे इमरजेंसी सर्टिफिकेट पर भारत के लिए डिपोर्ट कर दिया गया.
आईजीआई हवाई अड्डे पर तैनात इमीग्रेशन ब्यूरो के अधिकारियों को शक था कि गुरप्रीत के पासपोर्ट पर या तो कोई फर्जी वीजा लगा हुआ था, या फिर नकली इमीग्रेशन स्टैंप. जिसे छिपाने के चक्कर में पासपोर्ट के दो पन्नों को फाड़ दिया गया है. इसी शक के आधार पर इमीग्रेशन ब्यूरो ने गुरप्रीत को आईजीआई हवाई अड्डे पुलिस के हवाले कर दिया. वहीं, आईजीआई हवाई अड्डे पुलिस ने आरोपी गुरप्रीत के खिलाफ आईपीसी की धारा 420/468/471/34 और 12 पीपी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कर अपनी जांच शुरू कर दी.
पूछताछ के दौरान आरोपी गुरप्रीत सिंह ने बताया कि वह मूल रूप से तरनतारन (पंजाब) जिले के नोरंगाबाद गांव का रहने वाला है. बेहतर जिंदगी की चाहत में वह अमेरिका जाना चाहता था. अपनी इसी चाहत को पूरा करने के लिए वह अपने गांव में रहने वाले एजेंट सुल्तान सिंह से मिला. सुल्तान सिंह ने उसे अलग-अलग देशों से होते हुए अमेरिका भेजने का भरोसा दिलाया. इस काम के एवज में दोनों के बीच 50 लाख रुपए में ठील तय हुई. जिसमें, 10 लाख रुपए का भुगतान यात्रा से पहले देने की बात भी तय हुई थी.
पासपोर्ट से पन्ने क्यों फाड़ने पड़े?
डीसीपी ऊषा रंगनानी के अनुसार, पासपोर्ट से पन्ने फाड़ने के बाबत पूछे गए सवाल के जवाब में उसने बताया कि वह 2023 से 2024 के बीच पांच बार अमेरिका जाने का प्रयास कर चुका है. अमेरिका जाने के लिए उसने 2023 में 4 बार और 2024 में एक बार प्रयास किया है. पिछले प्रयास के दौरान, उसे भारत से दोहा भेजा गया. आगे की यात्रा के लिए सुल्तान के एक सहयोगी ने उसके पासपोर्ट पर ब्राजील का फर्जी इमीग्रेशन वीजा चिपका दिया. वहीं ब्राजील पहुंचने के बाद उसका फर्जी वीजा पकड़ा गया.