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आज से 45 दिन में पेमेंट का नियम हुआ लागू, MSME सेक्टर में होगा बड़ा बदलाव

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एक अप्रैल, 2024 से नए वित्त वर्ष 2024-25 का आगाज हो चुका है. नए वित्त वर्ष में अलग-अलग सेक्टर में कई नियम बदले हैं. इन्हीं में से एक माइक्रो, स्मॉल एवं मीडियम इंटरप्राइजेज सेक्टर (MSME) भी है. एमएसएमई सेक्टर के पेमेंट नियमों में आज से बड़ा बदलाव हो गया है. अब एमएसएमई को पेमेंट 45 दिन में मिला करेगा. अगर कोई कंपनी 45 दिन में गुड्स या सर्विस सप्लाई का पेमेंट करने में असफल रही तो इस रकम को उसकी इनकम मान लिया जाएगा और उसे टैक्स देना पड़ेगा. यह नियम एमएसएमई के कैश संकट को दूर कर उन्हें बहुत फायदा पहुंचा सकता है.

भुगतान न करने पर लगेगा 30 फीसदी टैक्स 

नए नियमों के अनुसार, अगर कोई बड़ी कंपनी एमएसएमई को लिखित एग्रीमेंट के तहत 45 दिन में पेमेंट नहीं करेगी तो वह अपनी इनकम में से इस रकम को खर्च के तौर पर नहीं दिखा सकेगी. भुगतान न करने पर यह रकम कंपनी की कमाई मान ली जाएगी और उसे 30 फीसदी टैक्स देना होगा. फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो, स्मॉल एवं मीडियम इंटरप्राइजेज (FISME) ने इस निर्णय का स्वागत किया है. साथ ही नए पेमेंट नियम को एमएसएमई सेक्टर के लिए गेम चेंजर बताया है.

नए नियम से डर रहे छोटे कारोबारी 

हालांकि, इस नियम को लेकर कुछ एमएसएमई ने शंका भी व्यक्त की है. उनका कहना है कि नया पेमेंट नियम लागू होने के बाद बड़े खरीदार उनकी जगह किसी और से खरीदारी करने लगेंगे. नियमों के अनुसार, इन नियम से सिर्फ उन्हीं एमएसएमई को फायदा होगा, जो उद्यम (Udyam) में रजिस्टर्ड हैं. उद्यम में रजिस्टर्ड कारोबारियों को आशंका है कि नए नियम से बचने के लिए बड़ी कंपनियां गैर रजिस्टर्ड एमएसएमई से ज्यादा कारोबार करने लगेंगे. इसी साल फरवरी में कई राज्यों के उद्योग संगठनों ने इस नियम को अप्रैल, 2025 से लागू करने की मांग की थी.

समय से पेमेंट होने से विवाद और कानूनी झगड़े घटेंगे 

हालांकि, फिस्मे ने कहा है कि छोटे कारोबारियों को घबराने की जरूरत नहीं है. बड़ी कंपनियां अपने भरोसेमंद सप्लायर की जगह नए लोगों को मौका देने से पहले 1000 बार सोचेंगी. सिर्फ लेट पेमेंट करने के लिए वो अपने कारोबार को खतरे में नहीं डालेंगी. ये आभासी डर है. नए नियम ने वित्तीय अनुशासन आएगा. यदि किसी विपरीत परिस्थिति के चलते पेमेंट लेट होता है तो कंपनियों को उसे आगे एडजस्ट करने का विकल्प भी दिया गया है. समय से पेमेंट होने से विवाद और कानूनी झगड़ों पर लगाम लगेगी. साथ ही एमएसएमई इकोसिस्टम में कारोबारी पारदर्शिता भी आएगी.

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