नवकार कलश अनुष्ठान से जुड़ रहे विदेश में बसे जैन परिवार
रायपुर (विश्व परिवार)। धर्मसभा को संबोधित करते हुए उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि ने कहा कि लेश्या शब्द कई लोगों ने सुना है, लेकिन बहुत कम लोगों ने इसे समझा है। कई लोग इसे औरा (aura) कहते हैं, लेकिन दोनों में बहुत अंतर है। औरा (aura) रंग है, लेकिन लेश्या गंध है, रंग है, भाव है, स्पर्श है और रस भी है। आप किसी की औरा बदल नहीं सकते हैं, लेकिन लेश्या बदल सकते हैं। कषाय और योग से जब आत्मा रंग जाती है, तब उसके मन, वचन और काया से जो बाहर जाता है, और जो अंदर आता है, ये दोनों काम लेश्या में चलते हैं। कषाय और योग आत्मा का स्वाभाव नहीं है, लेकिन आत्मा का जो ज्ञान है, श्रद्धा, भावना, चरित्र हैं, इन तीनो के आधार पर कषाय के योग बनते हैं। लेश्या तरंग भी है और कण भी है। उक्ताशय की जानकारी रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने दी।
शनिवार को प्रवीण ऋषि ने लेश्या के विषय पर अपनी प्रवचन श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए इंद्रभूति गौतम और महावीर का एक प्रसंग सुनाया। एक बार इंद्रभूती गौतम ने महावीर से सवाल पूछा कि दिन को दिन और रात को रात क्यों कहते हैं? प्रभु ने उत्तर दिया कि दिन में वास्तु की जो प्रकृति है जैसे वर्ण, गंध, रास और स्पर्श सकारात्मक होती हैं। वहीं जब वर्ण, गंध, स्पर्श और रस नकारात्मक हो, उसे रात कहते हैं। पदार्थ की तीव्रता दिन और रात में बदल जाती है। हमारे शरीर का वर्ण गंध, रास, स्पर्श बदलता नहीं है, लेकिन स्पर्शी का अहसास बदल जाता है। उपाध्याय प्रवर ने लेश्या का मतलब समझया। उन्होंने कहा कि लेश्या का मतलब है कृपा और कोप। जब आप किसी पर गुस्सा करते हो तो आप कुछ मत बोलो, ऑंखें बंद कर लो। क्योंकि आँखों से जो जहर जाता है, वो सामने वाले व्यक्ति को बर्बाद कर देता है। लोग कहते हैं कि घर को दूसरे की नजर लग गई, अरे आप अपने घर को कौन से नजर से देख रहे हैं पहले देखिये? अगर आपके घर में किसी का तिरस्कार हो रहा है, या किसी का झगड़ा हो रहा है, तो वे किस भाव से देखेंगे? दुःख की लेश्या घर में फैलेगी तो घर जलने में देर नहीं लगेगी।
उपाध्याय प्रवर ने कहा कि मन वचन काय के कषाय से शुभ लेश्या होती है। कषाय दो प्रकार के होते हैं, एक प्रशस्त और दूसरा अप्रशस्त। अर्थात शुभ कषाय और अशुभ कषाय। जैसे मन दो प्रकार का होता है, शुभ-अशुभ, काया भी दो प्रकार की होती है और वचन भी। और इनको शुभ-अशुभ करने वाला कषाय है। जैसे कोई सामने वाले पर गुस्सा करे और सामने वाला दुखी होने की जगह खुश हो जाए तो यह प्रशस्त कषाय है। कषाय को बदनाम कर रखा है, लेकिन कषाय में जो शक्ति है, उस शक्ति को पहचानने के लिए लेश्या का विषय है हमारे पास। लेश्या कषाय से होती है। कषाय के कारण शुक्ल लेश्या भी हो सकती है और कृष्ण लेश्या भी। हमें उस कषाय का चरित्र बदलना है। लेश्या को बदलो, जीवन बदल जाएगा। आप अपने साथ दूसरे की भी लेश्या को बदल सकते हो।
नवकार कलश अनुष्ठान से जुड़ रहे विदेश में बसे जैन परिवार
रायपुर श्रमण के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया कि 1 अक्टूबर से उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि आदि ठाना 2 के सानिध्य में लालगंगा पटवा भवन नवकार तीर्थ कलश अनुष्ठान शुरू होने जा रहा है। इस अनुष्ठान के जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के संयोजक राजेश मूणत हैं। 1 अक्टूबर को 24 घंटों का नवकार महामंत्र जाप होगा। इसके बाद 2 अक्टूबर को नवकार कलश अनुष्ठान होगा। उन्होंने बताया कि रायपुर समेत छत्तीसगढ़ और देशभर से जैन परिवारों के नाम इस अनुष्ठान में शामिल होने के लिए आ रहे हैं। इस कलश अनुष्ठान में जुड़ने के लिए लंदन, सिंगापूर, दुबई, अमेरिका में रहने वाले जैन परिवारों के नाम भी आ रहे हैं। उन परिवारों के लिए इस अनुष्ठान से जुड़ने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था भी की गई है। अनुष्ठान के दिन उन्हें लिंक उपलब्ध कराया जायेगा, जिससे वे इस अनुष्ठान में अपने परिवार के साथ शामिल हो सकेंगे। फोन के माध्यम वे संपर्क बनाये हुए हैं। वहीं नवकार कलश को सुरक्षित पहुंचाने के लिए भी रायपुर श्रमण संघ ने कूरियर की व्यवस्था की है, ताकि विदेश में बैठे जैन परिवारों तक यह कलश पहुंच जाए।
पंचधातु नवकार कलश के लिए सहयोग राशि 3100 रुपए रखी गई है। नवकार कलश के लिए सकल जैन समाज के सदस्य लालगंगा पटवा भवन में संपर्क कर सकते है।
———————————————————————–