अमेरिका (United States) के सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) के बाद भारत में आरबीआई (RBI) भी आने वाले दिनों में ब्याज दरों (Interest Rate) में कटौती कर महंगी ईएमआई (EMI) से लोगों को राहत दे सकता है. ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आरबीआई अगले छह महीने में आधा फीसदी यानि 50 बेसिस प्वाइंट्स तक ब्याज दरों में कटौती कर सकता है जिसकी शुरुआत दिसंबर महीने में होने वाली मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक से हो सकती है. ब्रोकरेज हाउस यूबीएस ने भी दिसंबर में ब्याज दरों में कटौती की भविष्यवाणी की है.
रॉयटर्स के पोल में ज्यादातर अर्थशास्त्रियों ने कहा कि अगले छह महीनों में 50 बेसिस प्वाइंट तक आरबीआई कर्ज सस्ता कर सकता है. हालांकि इसकी शुरुआत अगले महीने अक्टूबर में होने वाली मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक ( RBI MPC Meeting) से नहीं बल्कि दिसंबर 2024 में होने वाले बैठक से शुरू होगी. मौजूदा समय में आरबीआई का पॉलिसी रेट यानि रेपो रेट 6.50 फीसदी पर है अर्थशास्त्रियों के पोल के मुताबिक घटकर 6 फीसदी पर आ सकता है. जुलाई और अगस्त में खुदरा महंगाई दर आरबीआई के टोलरेंस बैंड 4 फीसदी से नीचे रहा है.
अर्थशास्त्रियों ने कहा, भले ही फेडरल रिजर्व में ब्याज दरों में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती की हो लेकिन मजबूत अर्थव्यवस्था और स्टेबल करेंसी के चलते आरबीआई को कोई जल्दबाजी नहीं है. 76 अर्थशास्त्रियों के पोल में 63 यानि 80 फीसदी का कहना है कि आरबीआई 7-9 अक्टूबर 2024 को होने वाली एमपीसी बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करेगा. जबकि 12 का कहना है कि 25 बेसिस प्वाइंट तक रेट में कटौती की जा सकती है. जबकि एक का मानना है कि रेपो रेट को घटाकर 6.15 फीसदी किया जा सकता है. फरवरी 2023 के बाद से आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है.
एक्यूट रेटिंग्स में अर्थशास्त्री सुमन चौधरी ने कहा, फेड रिजर्व के समान आरबीआई ब्याज दरें घटाने की जल्दबाजी में नहीं है क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था बेहद मजबूत है. खाद्य महंगाई में कमी आ रही है और आने वाले दिनों में भी पिछले साल के मुकाबले बेहतर रहने की उम्मीद है. उन्होंने कहा दिसंबर 2024 में कटौती संभव है.