देश में एक्सप्रेसवे और हाईवे का नेटवर्क बढ़ता जा रहा है. छोटे-बड़े शहरों के आसपास से कोई न कोई एक्सप्रेसवे या हाईवे जरूर गुजर रहा होगा. यही वजह है कि देश में एक कोने से दूसरे कोने तक सड़क मार्ग से जाना आसान हो गया है. हाईवे और एक्सप्रेसवे के लिए किसानों से जमीन ली जाती है, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय कुछ जमीन को वापस करने की तैयारी कर रहा है. इस जमीन के लिए एक शर्त होगी. जानें-
देशभर में कुल 1,46,145 किमी नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे हैं. निर्माण से पहले मंत्रालय जमीन किसानों की जमीन अधिग्रहण करता है और उसके बदले मुआवजा देता है. लेकिन कई बार ऐसी स्थिति बन जाती है कि जमीन अधिग्रहण कर ली जाती है, लेकिन बाद में किसी कारणवश एक्सप्रेसवे या हाईवे का अलाइनमेंट बदल जाता है. इस वजह से किसान को मुआवजा भी नहीं मिलता है और जमीन मंत्रालय के पास रहती है लेकिन कोई काम की नहीं होती है. इसी को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय पॉलिसी में बदलाव करने की तैयारी कर रहा है.
एक्सप्रेसवे या हाईवे के लिए अधिग्रहण की गयी जमीन पर कोई निर्माण नहीं हुआ है और भविष्य में भी इस जमीन पर किसी तरह के निर्माण की योजना नहीं है तो ऐसी जमीन किसानों को वापस कर दी जाएगी. क्योंकि इस तरह की जमीन का मंत्रालय मुआवजा भी नहीं देता है. जल्द ही इससे संबंधित पॉलिसी में बदलाव किया जाएगा. मंत्रालय ने मंथन शुरू कर दिया है.
ये एक्सप्रेसवे हो रहे हैं तैयार
दिल्ली -मुंबई (1386 किमी.), अहमदाबाद -धोलेरा ( 109 किमी.), बेंगलुरू-चेन्नई (262 किमी.), लखनऊ कानपुर (63 किमी.) और दिल्ली -अमृतसर- कटरा ( 669 किमी.) हैं. इनमें से तीन एक्सप्रेसवे दिल्ली -मुंबई, अहमदाबाद -धोलेरा, बेंगलुरू चेन्नई इस साल तैयार हो जाएंगे, जबकि लखनऊ कानपुर और दिल्ली -अमृतसर- कटरा 2026 तैयार होंगे. इन एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 2489 किमी. है.