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20 देशों के लिए अमेरिका ने खोल दिए दरवाजे, भारत का नाम लिस्ट में नहीं!

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अमेरिका ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एडवांस चिप के निर्यात को लेकर नियमों में कुछ बदलाव किया है. फैसला लिया गया है कि चीन और रूस को कोई चिप निर्यात नहीं की जाएगी. हालांकि 20 देशों के लिए चिप के निर्यात पर किसी तरह का कोई बैन लागू नहीं होगा. इस फैसले से चीन को तो समस्या होगी ही, क्योंकि वह बड़ी संख्या में चिप इम्पोर्ट करता है. हमारे लिए परेशान होने की बात ये है कि अमेरिका ने जिन 20 देशों के लिए चिप के निर्यात को खुला रखा है, उनमें भारत का नाम शामिल नहीं है.

अमेरिका आखिर भारत से इस तरह का सौतेला व्यवहार कैसे कर सकता है. यह सवाल तब और जरूरी हो जाता है, जबकि अमेरिका भारत को अपना अहम पार्टनर बताता है. यह फैसला जो बाइडन ने राष्ट्रपति के पद से हटने के एक हफ्ते पहले लिया है. अमेरिका अपनी आंतरिक सुरक्षा को लेकर चीन पर कड़ा रुख अपनाता रहा है. इसी कड़ी में चिप का निर्यात भी रोका गया है.

बता दें कि अमेरिका ने ऑस्ट्रेलिया, इटली, बेल्जियम, ब्रिटेन, कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, जापान, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, साउथ कोरिया, स्पेन, स्वीडन, ताइवान को नए प्रतिबंधों से छूट दी है. इस सूची में भारत का नाम नहीं है.

इससे पहले भी अमेरिका की तरफ से भारत को लेकर इसी तरह के कुछ फैसले लिए गए हैं. कुछ महीने पहले ही अमेरिका ने भारत की कंपनियों पर बैन लगाया था. अमेरिका ने 30 अक्टूबर को यूक्रेन में रूस के युद्ध प्रयासों में मदद करने के आरोप में 19 भारतीय कंपनियों और दो भारतीय नागरिकों सहित करीब 400 कंपनियों और व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाया था.

भारत का नाम क्यों नहीं?
जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुआ, तब से अमेरिका और यूरोपीय देशों ने मिलकर रूस का बायकॉट किया था. रूस पर कई तरह के व्यापारिक प्रतिबंध लगाए गए. सबसे बड़े तेल उत्पादक देशों में रूस शामिल है. प्रतिबंधों के बाद रूस ने भारत को तेल बेचना शुरू कर दिया. भारत को रूस से मिला मिलने वाला तेल दूसरों देशों के मुकाबले सस्ता था. अमेरिका समेत सभी यूपोपीय देश, जो रूस की इकॉनमी को खत्म करना चाहते थे, को यह बात गंवारा नहीं थी कि भारत रूस से तेल खरीदे.

कई यूरोपीय देशों की चेतावनियों के बाद भी भारत ने अमेरिका से तेल खरीदना जारी रखा. ऐसे में यह अंदेशा लगाया जा सकता है कि अमेरिका ने भारत को इसलिए इस लिस्ट से बाहर रखा, क्योंकि वह रूस के करीब है. आधिकारिक तौर पर ऐसा कुछ नहीं कहा गया है.

भारत को हो सकता है लाभ
भारत ने हाल ही में AI और सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग पर जोर दिया है. भारत और अमेरिका में व्यापार के स्तर पर रणनीतिक साझेदारी काफी अच्छी है. ऐसे में भारत को लाभ हो सकता है. अमेरिकी प्रतिबंधों में भारत का नाम लेकर सप्लाई और गेमिंग चिप्स को शामिल नहीं किया गया है, लेकिन वे चीन और रूस जैसे देशों को AI चिप्स निर्यात करने पर रोक लगाते हैं. यह नीति संभावित रूप से भारत जैसे देशों की ओर निवेश और संसाधनों को डायवर्ट कर सकती है.

अमेरिका ने अपने हित में लिया ये फैसला
अमेरिकी वाणिज्य सचिव जीना रायमोंडो ने व्हाइट हाउस के एक ब्लॉगपोस्ट में लिखा, “राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिमों के प्रबंधन के लिए समझौतों की आवश्यकता होती है. यह नियम सुनिश्चित करता है कि हमारे सहयोगी हमारे हितों की रक्षा करते हुए अत्याधुनिक तकनीक तक पहुंच बना सकें.”

गौरतलब है कि ये नियम पिछले चिप निर्यात नियंत्रणों पर आधारित हैं, जिनका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि AI डेवलपमेंट अमेरिकी मानकों के अनुरूप हो. अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने एक आधिकारिक बयान में कहा, “यह नियम सुनिश्चित करता है कि एडवांस AI सिस्टम के लिए बुनियादी ढांचा अमेरिका या उसके जुड़े क्षेत्रों में बना रहे.”

अमेरिका ने कहीं गलती तो नहीं कर दी?
एनवीडिया ने नए नियमों का कड़ा विरोध किया है. एआई चिप उत्पादन में अग्रणी एनवीडिया ने चेतावनी दी कि इस नीति में अमेरिका के वैश्विक टेक्नोलॉजी प्रभुत्व को कमजोर करने का जोखिम है. एनवीडिया के सरकारी मामलों के उपाध्यक्ष नेड फिंकल ने कहा, “यह नियम दुनियाभर में इनोवेशन और आर्थिक विकास को पटरी से उतार सकते हैं.” कंपनी ने इन प्रतिबंधों के संभावित अनचाहे परिणामों पर प्रकाश डाला, जिसमें ग्राहकों को हुवावे जैसे चीनी प्रतिस्पर्धियों की ओर ले जाना शामिल है, जिसने एआई चिप्स में महत्वपूर्ण प्रगति की है. कहने का मतलब है कि यदि बाकी देशों को अमेरिका से चिप नहीं मिलेगी, तो वे चीन की बड़ी कंपनी हुवावे की तरफ मुड़ सकते हैं, जिससे डायरेक्ट चीन को लाभ होगा.

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