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चीन के साथ अब क्‍या है भारत का आगे का प्‍लान? अजित डोभाल के बाद जयशंकर के दूत जा रहे बीजिंग

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डोनाल्‍ड ट्रंप के एक बार फिर से अमेरिका के राष्‍ट्रपति बनने के बाद इंटरनेशनल लेवल पर पॉलिटिक्‍स और डिप्‍लोमेसी में नई तरह की सुगबुगाहट देखने को मिल रही है. भारत भी अपने सबसे बड़े पड़ोसी देश चीन के साथ संबंधों को और मजबूत करने की कवायद में जुटा है. कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग के बीच महत्‍वपूर्ण बातचीत के बाद नई दिल्‍ली और बीजिंग लगातार आपसी भरोसे को मजबूत करने में जुटे हैं. राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के बाद अब विदेश मंत्री एस. जयशंकर के दूत विदेश सचिव विक्रम मिस्री चीन की यात्रा पर जा रहे हैं. उनके एजेंडे पर कई महत्‍वपूर्ण मुद्दे हैं, जिनपर चर्चा होने की संभावना है.

जानकारी के अनुसार, विदेश सचिव विक्रम मिस्री दो दिन के लिए चीन के दौरे पर जा रहे हैं. वहां अपने चीनी समकक्ष से मुलाकात के साथ ही टॉप लीडरशिप के साथ भी बातचीत होने की संभावना है. विदेश विभाग की ओर से जारी बयान के मुताबिक, विदेश सचिव विक्रम मिस्री 26 और 27 जनवरी 2025 तक चीन में रहेंगे. भारत और चीन ने विदेश सचिव और वाइस मिनिस्‍टर की मुलाकात को लेकर एक प्रॉपर मेकेनिज्‍म तैयार किया है, ताकि दोनों देशों के संबंधों को लेकर लिए गए फैसलों पर अमल की समय-समय पर समीक्षा की जा सके और उसे प्रभावशाली तरीके से लागू किया जा सके. बता दें कि लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल (LAC) पर पूर्व की तरह स्थिति बहाल होने के बाद से ही दोनों देशों की ओर से संबंधों को और मजबूत करने की लगातार कोशिश की जा रही है.

एजेंडे पर ये 4 मुद्दे
विदेश सचिव विक्रम मिस्री का बीजिंग दौरा ऐसे समय में होने जा रहा है, जब अमेरिका में ट्रंप युग का औपचारिक आगाज हो चुका है. राष्‍ट्रपति ट्रंप लीक से हटकर फैसला लेने के लिए जाने जाते हैं. ओवल ऑफिस पहुंचने के तुरंत बाद उन्‍होंने ऐसा करके भी दिखा दिया. इंटरनेशनल लेवल पर बदलते हालात के बीच भारत और चीन के करीब आने के काफी मायने हैं. ऐसे माहैल में विक्रम मिस्री के एजेंडे पर 4 मुद्दे हैं. वीजा पर फोकस, डायरेक्‍ट फ्लाइट की फिर से शुरुआत, आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के तौर-तरीकों पर विचार करना शामिल है. इसके अलावा LAC पर साल 2020 से पहले की स्थिति को बहाल करने को लेकर लिए गए फैसले के अमल पर भी चर्चा की जाएगी.

लद्दाख के कुछ इलाकों में भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने आ गए थे. टकराव के बाद LAC पर हालात काफी गंभीर हो गए थे. दोनों देशों की तरफ से हैवी डिप्‍लॉयमेंट किया गया था. सैन्‍य तनाव के बीच आपसी संबंध भी काफी तल्‍ख हो गए थे. हाल के कुछ सालों में दुनियाभर में अप्रत्‍याशित तौर पर माहौल बदला है. रूस-यूक्रेन जंग के साथ ही इजरायल-हमास के बीच युद्ध ने हालात को और गंभीर बना दिया. दूसरी तरफ, लाल सगर में हूती विद्रोहियों के हमले के कारण इंटरनेशनल ट्रेड बुरी तरह प्रभावित हुआ. तमाम तरह की स्थितियों के बीच भारत और चीन के बीच जमी बर्फ पिघलने लगी. आखिरकार दोनों देशों ने तमाम तरह के विवादों को सुलझाते हुए आगे बढ़ने का फैसला किया. अब विक्रम मिस्री का चीन दौरा उसी प्रयास को आगे बढ़ाने में महत्‍वपूर्ण साबित हो सकता है.