देश में डिजिटल लेन-देन (Digital Transactions) और सोशल मीडिया (Social Media) का प्रचलन तेजी से बढ़ा है. इसी वजह से आज वित्तीय और निजी जानकारियां भी बहुत अहम हो गई हैं. इनके लीक होने और ऑनलाइन आर्थिक धोखाधड़ी की घटनाएं भी अब बढ़ गई हैं. साइबर क्राइम (cyber crime) से बचाव और नुकसान की भरपाई में साइबर इंश्योरेंस (Cyber Insurance) बहुत काम आता है. इसलिए आज हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस के साथ ही साइबर इंश्योरेंस लेना भी बहुत जरूरी हो गया है. इस बीमा पॉलिसी में पॉलिसी धारक को विभिन्न प्रकार के साइबर क्राइम और फ्रॉड के खिलाफ कवर दिया जाता है.
अगर आपके पास साइबर इंश्योरेंस होगा तो आपके खून पसीने की कमाई को कोई ऑनलाइन हड़प लेता है या फिर आपके बैंक अकाउंट, क्रेडिट/डेबिट कार्ड या आपके ई-वॉलेट (e-wallet) से धोखाधड़ी से ऑनलाइन खरीदारी (Online Shopping) कर लेता है तो उसकी भरपाई बीमा कंपनी करती है. फिशिंग और ईमेल स्पूफिंग जैसे साइबर क्राइम से हुई हानि की भरपाई भी बीमा कंपनी करती है. साइबर इंश्योरेंस आपको किसी भी साइबर फ्रॉड, डेटा चोरी, साइबर अटैक, रैंसमवेयर हमले और ब्लैकमेलिंग से वसूली की स्थिति में फाइनेंशियल खतरे को कम करता है.
इन बातों का रखें ध्यान
साइबर इंश्योरेंस लेते वक्त कंपनी द्वारा दिए जा रहे प्लान को अच्छी तरह समझना चाहिए. आपको पता होना चाहिए की पॉलिसी में क्या-क्या कवर है.आमतौर पर साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी 10 से 15 तरह के साइबर खतरों से सुरक्षा प्रदान करते हैं.
जरूरत मुताबिक लिमिट
आपकी साइबर सुरक्षा आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण है, इसी को देखते हुए बीमा कवर की लिमिट चुननी चाहिए. अगर आप बहुत ज्यादा ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करते हैं तो आपको ज्यादा लिमिट की जरूररत होगी. बीमा कंपनियां 50 हजार रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये तक का कवरेज पेश करती हैं.