ट्रंप के टैरिफ वॉर शुरू करने के बाद नींबू की कीमतें अचानक 4 गुना बढ़ गई हैं. आलम ये है कि बाजार में ही नींबू 120 रुपये किलो के भाव पहुंच गया है. इससे किसानों में तो खुशी है, लेकिन आम आदमी पर भारी बोझ बढ़ता दिख रहा है. गर्मियों में नींबू की जरूरत और डिमांड दोनों ही बढ़ जाती है. वैसे तो हर साल इसका असर नींबू की कीमतों पर पड़ता है, लेकिन इस बार गर्मियों का पारा अपने पीक पर पहुंचने से पहले ही इसकी कीमतें आसमान पर पहुंचने लगी हैं.
ग्लोबल मार्केट में बढ़ती मांग के कारण नींबू की कीमतें पिछले कुछ हफ्तों में लगभग चार गुना बढ़ गई हैं. नींबू के सबसे बड़े उत्पादक राज्य आंध्र प्रदेश में किसानों को इस बढ़ोतरी से काफी खुशी है, लेकिन आम आदमी की जेब पर इसका गहरा असर पड़ने की आशंका है. मार्च में नींबू की थोक कीमत 3 हजार रुपये प्रति क्विंटल चल रही थी, जो अप्रैल के दूसरे सप्ताह में करीब 4 गुना बढ़कर 12 हजार रुपये क्विंटल पहुंच गई है.
मार्च से बढ़नी शुरू हो गई कीमत
सूत्रों का कहना है कि आंध्र प्रदेश का गुंटूर जिला भारत की नींबू राजधानी कहा जाता है. यहां नींबू की कीमतें बहुत कम समय में बेहद तेजी से बढ़ी हैं. कीमतों में यह उछाल इसलिए आया क्योंकि व्यापारी, जिनमें बड़े निर्यातक भी शामिल हैं, गुंटूर जिले के डुग्गिराला बाजार में स्टॉक जमा करने की कोशिश कर रहे हैं. यही वजह है कि मार्च के पहले हफ्ते में जहां इस बाजार में नींबू की कीमत 3,000 रुपये प्रति क्विंटल से तीसरे हफ्ते तक बढ़कर 6,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गईं.
अनुमान से कहीं ज्यादा उछाल
सूत्रों का कहना है कि नींबू की कीमतें 8 हजार रुपये प्रति क्विंटल के आसपास तक जाने का ही अनुमान था, जो 2 सप्ताह में ही 12 हजार के लेवल को भी पार कर चुकी है. इसका सबसे बड़ा कारण निर्यात में आया उछाल है. भारत ग्लोबल निर्यात का करीब 18 से 20 फीसदी नींबू सप्लाई करता है. गर्मी बढ़ने के साथ ही ग्लोबल मार्केट में नींबू की डिमांड भी तेजी से बढ़ रही है, जिसका असर भारत के घरेलू बाजार पर भी दिखा और यहां नींबू कई गुना महंगा हो गया.