मोबाइल, इंटरनेट और सोशल मीडिया के जमाने में लोगों के साथ-साथ अपराधी भी हाईटेक होते जा रहे हैं. पिछले कुछ महीनों में ऑनलाइन और साइबर फ्रॉड के बेहद हैरान करने वाले मामले सामने आए हैं. इनमें साइबर क्रिमिनल ने एआई जैसी तकनीक का इस्तेमाल भी किया है. इसी कड़ी में ऑनलाइन फ्रॉड के लिए अपराधियों ने एक नया पैंतरा तैयार किया है, जिसे ‘डिजिटल अरेस्ट’ कहा जा रहा है.
इस नए तरीके के साइबर फ्रॉड के 2 गंभीर मामले में दिल्ली से फरीदाबाद और नोएडा में देखने को मिले हैं. इन दोनों केस में महिलाओं को साइबर अपराधियों ने तकनीक का सहारा लेकर इमोशनली ब्लैकमेल किया. आइये आपको बताते हैं आखिर क्या है डिजिटल अरेस्ट और इसके जरिए साइबर अपराधी कैसे बनाते हैं लोगों को अपना शिकार?
क्या है डिजिटल अरेस्ट
आमतौर पर अरेस्ट का मतलब है गिरफ्तारी या किसी को गिरफ्तार कर लेना. इसके आगे डिजिटल जुड़ जाना यानी किसी व्यक्ति को डिजिटली गिरफ्तार कर लेना है. दरअसल ठगी के इस नए हथकंडे के जरिए लोगों को वीडियो कॉलिंग के जरिए ब्लैकमेल किया जाता है. इसमें साइबर अपराधी नकली पुलिस अधिकारी या अन्य एजेंसी के जांच अफसर बनकर लोगों को धमकाते हैं. तकनीक के सहारे बैकग्राउंड में पुलिस स्टेशन या अन्य कोई ऑफिस क्रिएट कर लेते हैं. इससे सामने वाले व्यक्ति को लगता है कि मानो कोई पुलिस अधिकारी थाने में बैठकर ही बात कर रहा है.
इस तरह से डराते-धमकाते
पहले साइबर अपराधी लोगों को कॉल करते हैं और उनसे कहते हैं कि आपके आधार कार्ड, सिम कार्ड, बैंक कार्ड या बैंक अकाउंट का उपयोग आपराधिक गतिविधियों के लिए किया गया है. इसे लेकर वे सामने वाले व्यक्ति पर मनगढ़ंत आरोप लगाते हैं और गिरफ्तारी का दिखाकर पीड़ितों से पैसे वसूलते हैं. ये शातिर साइबर अपराधी ऐसे हालात बना देते हैं कि कोई भी व्यक्ति घबरा जाता है जैसे कि कुछ मामलों में पीड़ित व्यक्तियों के साथ हुआ है.