विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को कहा कि भारतीय दूत ने 3 दिसंबर को कतर में मौत की सजा पाने वाले 8 नौसेना के पूर्व अफसरों से मुलाकात की है. भारत सरकार इस मामले पर बारीकी से नजर रख रही है. उन्हें सभी कानूनी और दूतावास संबंधी सहायता प्रदान कर रही है. अरिंदम बागची ने यह भी कहा कि आठ भारतीयों के खिलाफ मामले में दो सुनवाई हो चुकी है और मौत की सजा के खिलाफ अपील पहले ही दायर की जा चुकी है. नौसेना के दिग्गजों को 26 अक्टूबर को कतर की प्रथम दृष्टया अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी. भारत ने फैसले को “गहरा” चौंकाने वाला बताया था.
दरअसल, कतर की अदालत ने जिन आठ भारतीयों को मौत की सजा सुनाई है, वे सभी भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी रह चुके हैं. ये आठों नौसेना के पूर्व अधिकारी पिछले साल यानी अगस्त 2022 से ही कतर की जेल में बंद हैं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि आपने प्रधानमंत्री मोदी को सीओपी28 के मौके पर दुबई में कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद से मुलाकात करते देखा होगा. उनके बीच समग्र द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ अच्छी बातचीत हुई है.
कतर जेल में बंद हैं 8 भारतीय, डिफेंस सर्विस प्रोवाइडर कंपनी में कर रहे थे काम
कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूरेनेंदु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश कतर जेल में बंद हैं, जिन्हें मौत की सजा सुनाई गई है. वे सभी दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज में काम कर रहे थे, जो एक ओमानी नागरिक, रॉयल ओमानी वायु सेना के सेवानिवृत्त स्क्वाड्रन लीडर के स्वामित्व वाली एक रक्षा सेवा प्रदाता कंपनी है.