छत्तीसगढ़ के कुछ जिलों में नक्सली तेजी से अपने पैर पसार रहे हैं. बीते दिनों ही सुकमा-बीजापुर जिले के सीमावर्ती क्षेत्र टेकलगुड़ेम गांव में सीआरपीएफ कैंप पर बड़ा नक्सली हमला हुआ. इस हमले में तीन जवान शहीद हो गए, जबकि दस से ज्यादा जवान घायल हुए. समय के साथ-साथ ये नक्सली और ज्यादा खूंखार और ताकतवर बन गए हैं. वे अब आईईडी के साथ स्नाइपर्स का भी इस्तेमाल कर रहे हैं.
नक्सली स्नाइपर (राइफल), IED ब्लास्ट के लिए रिमोट ट्रेनिंग और आधुनिक हथियारों को चलाने की ट्रेनिंग भी ले रहे हैं. नक्सली पिछले एक दशक से भी अधिक समय से स्वदेशी प्रोपेलर और मोर्टार विकसित कर रहे हैं. यहां तक कि वे ड्रोन से निगरानी रखने में भी मदद ले रहे हैं. हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, बिहार, ओडिशा, झारखंड, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र राज्यों और केरल, तमिलनाडु और तमिलनाडु के ट्राई-जंक्शन में नक्सलियों का बड़ा गढ़ है. वहीं, सुरक्षाबलों का मानना है कि उन्हें नक्सलियों के स्नाइपर यूज करने की जानकारी है.
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक ने कही ये बात
रिपोर्ट के मुताबिक, नक्सलियों से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों को कवर करने वाले बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने कहा, “मैंने हाल ही में सामने आए नक्सलियों के 22 पेज का दस्तावेज पढ़ा है और मेरा मानना है कि पिछले कुछ सालों में हमने उन्हें जो नुकसान पहुंचाया है, उसके कारण उनके पास गोला-बारूद की कमी है. ऐसे में वे स्नाइपर्स और बूबी ट्रैप की ओर बढ़ रहे हैं. हम अच्छी तरह से जानते हैं और इन स्नाइपर्स से निपटने के लिए जवाबी रणनीति के साथ तैयार हैं.”
क्या कहते हैं आंकड़े?
ग्लोबल टेररिज्म 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, ‘भारत 1998 और 2013 के बीच आतंकवाद से सबसे अधिक प्रभावित देशों की लिस्ट में टॉप-10 में रहा. वहीं, साल 2000 और 2003 में दो बार टॉप पर रहा. वहीं, 2014 में स्थिति में सुधार हुआ. लेकिन 2017 में 384 मौतें दर्ज की गईं. उस साल भारत 7वें नंबर पर था. जो 2016 की तुलना में 12 फीसदी से अधिक है.