एनसीएलटी ने संकट में घिरी शिक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी बायजू से 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर (1657 करोड़ रुपये) के राइट इश्यू को बंद करने की तारीख बढ़ाने पर विचार करने को कहा है. दूसरी ओर बायजू प्रबंधन ने संकेत दिया है कि वह इस अनुरोध को स्वीकार नहीं करेगा. हालांकि, कंपनी के असंतुष्ट चल रहे निवेशकों ने निर्गम को बुधवार को बंद होने से रोकने के लिए कई तकनीकी दिक्कतें बताईं थीं.
राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की बेंगलुरु पीठ ने 27 फरवरी के एक अंतरिम आदेश में कहा कि राइट इश्यू से कंपनी को मिलने वाली धनराशि को एक ‘एस्क्रो’ (विशेष) खाते में रखना चाहिए और मामला खत्म होने तक इसे निकालना नहीं चाहिए. मामले की अगली सुनवाई चार अप्रैल को होगी. कंपनी के करीबी सूत्रों ने कहा कि राइट इश्यू बंद करने की बुधवार की समयसीमा आगे नहीं बढ़ाई जाएगी.
क्या होता है राइट इश्यू
राइट इश्यू एक आईपीओ की तरह की होता है जिसमें निवेशकों को शेयर ऑफर किये जाते हैं. हालांकि, राइट इश्यू में नए शेयरधारकों को नहीं बुलाया जाता है. इसमें पुराने शेयरधारकों को डिस्काउंट रेट पर शेयर ऑफर किये जाते हैं. कंपनी यह शेयर सीधे शेयरधारकों को बेचती है. इसकी खरीद-बिक्री स्टॉक एक्सचेंज पर नहीं होती है. कंपनी राइट इश्यू लेकर आती है क्योंकि ये पैसा जुटाने का आईपीओ से तेज तरीका होता है. इसमें नियामकीय पाबंदियां व छानबीन भी कम होती है.
बचने का तरीका
जिन कंपनियों के पैसा कैश की किल्लत हो जाती है और उन्हें कर्ज चुकाना होता है वह अक्सर राइट इश्यू लाकर मार्केट से पैसा उठाती हैं और फिर उस पैसे का इस्तेमाल कर्ज चुकाने के लिए करती हैं. हालांकि, इसका नुकसान यह होता है कि राइट इश्यू की वजह से मार्केट में उस कंपनी के और शेयर आ जाते हैं इससे मौजूदा शेयरों की वैल्यू नीचे गिरने की आशंका और बढ़ जाती है.