अगर आप पासपोर्ट का आवेदन करने जा रहे हैं या सोच रहे हैं तो आपके लिए यह खबर उपयोगी हो सकती है. खबर पढ़ने के बाद आप साइबर क्रिमिनल्स के चंगुल में फंसने से बच सकते हैं. कई लोग इनके शिकार हो चुके हैं और बाद में पुलिस के पास पहुंच रहे हैं. गाजियाबाद में इस तरह के कई मामले आ चुके हैं. इसलिए क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी ने लोगों से सावधानी से पासपोर्ट अप्लाई करने की अपील की है.
गाजियाबाद पासपोर्ट केन्द्र में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 14 जिलों के पासपोर्ट बनते हैं. रोजाना करीब 2200 लोग पासपोर्ट के लिए आवेदन करते हैं. कुछ लोग कैफे में जाकर आवेदन करते हैं और कुछ लोग स्वयं आवेदन कर लेते हैं. कैफे वाले को पता होता है कि अधकिृत वेबसाइट कौन सी हैं और कौन सी फर्जी है. इसलिए वे साइबर क्रिमिनल्स के चंगुल में नहीं फंसते हैं लेकिन जो लोग स्वयं आवेदन करते हैं और कंप्युटर फ्रेंडली कम होते हैं, वे जरूर इनके चंगुल में फंस जाते हैं. गाजियाबाद पुलिस के पास इस तरह शिकायतें पास पहुंची हैं.
साइबर क्रिमिनल्स सरकारी वेबसाइट से मिलते जुलते नाम वाली वेबसाइट बना रखी है. जैसे इंडिया पासपोर्ट, आनलाइन पासपोर्ट इंडिया, पासपोर्ट इंडिया पोर्टल, पासपोर्ट इंडिया, पासपोर्ट सेवा व एप्लाइ पासपोर्ट व इसी तरह से कई और फर्जी वेबसाइट बनवा रखी हैं. पासपोर्ट के लिए आवेदन करते वक्त लोग वेबसाइट सर्च करते हैं और उन्हें पता नहीं होता है कि फर्जी कौन सी है और अधिकृत कौन सी है. किसी फर्जी वेबसाइट में जाकर आवेदन करते हैं, तो जालसाज आवेदकों से उनकी पूरी डिटेल ले लेते हैं.
डिटेल लेकर वह पासपोर्ट के लिए आवेदन तो कर देते हैं लेकिन सामान्य श्रेणी में पासपोर्ट आवेदन की फीस 1500 रुपये है लेकिन ये 4000-5000 तक रुपये वसूलते हैं. वहीं, लागइन आइडी व पासवर्ड भी आवेदकों को नहीं बताते हैं. ऐसे में यदि आवेदकों को अप्वाइंटमेंट री-शेड्यूल करानी होती है तो उन्हें परेशानी होती है. संपर्क करने पर री-शेड्यूल कराने के नाम पर फिर से दो से तीन हजार रुपये वसूलते हैं. पैसे न देने पर यह आवेदकों को काम नहीं करते हैं. चूंकि आवेदक से दो-चार हजार रुपये ही ज्यादा लेते हैं और जिनका काम पहली बार में हो जाता है, वो लोग पुलिस से शिकायत भी नहीं करते हैं.
अधिकृत वेसासाइट पर ही करें आवेदन
क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी आईएफएस अनुज स्वरूप ने बताया कि पासपोर्ट के लिए अधिकृत वेबसाइट https://www.passportindia.gov.in है. आवेदक इसी वेबसाइट पर जाकर ही आवेदन करें. इसके अलावा कोई भी अधिकृत वेबसाइट नहीं है. इसलिए सावधानी के साथ पासपोर्ट के लिए आवेदन कर चंगुल में फंसने से बचें.
दूसरे राज्यों से होता है संचालन
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ और सार्वजनिक नीति थिंक टैंक फ्यूचर फाउंडेशन के संस्थापक कनिष्क गौड़ बताते हैं कि इसे फिशिंग कहते हैं. इस तरह का क्राइम तेलंगाना, आंध्रा प्रदेश समेत कई राज्यों में हो रहा है. इससे बचने के लिए सरकारी वेबसाइट पर ही आवेदन करें.