इस साल देश में सूखे और फिर बेमौसम की बरसात से खरीफ में प्याज की फसल को भारी नुकसान हुआ है. जिसे देखते हुए देश में प्याज की कीमतों को कम रखने के लिए सरकार ने 31 मार्च तक प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी है. इसके बावजूद सरकार को डर है कि चुनावी साल में प्याज की किल्लत या महंगाई एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकती है. इसके सरकार ने सजगता बरतनी शुरू की है. सूत्रों के मुताबिक सरकार इस साल अपने बफर स्टॉक के लिए 5 लाख टन प्याज खरीदने की योजना बना रही है. जिसका इस्तेमाल कीमत बढ़ने की स्थिति में बाजार में हस्तक्षेप करने के लिए किया जा सकता है.
सूत्रों के मुताबिक खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने पिछले साल 5 लाख टन का बफर स्टॉक बनाया था. जिसमें से 1 लाख टन अभी भी उपलब्ध है. सरकार की ओर से एनसीसीएफ और नैफेड जैसी एजेंसियां प्याज की खरीद करेंगी. सूत्रों ने कहा कि अपने बफर स्टॉक से रियायती दर पर प्याज बेचने के सरकार के फैसले से कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिली है. सरकार इस महीने के अंत में प्याज निर्यात पर प्रतिबंध हटाने पर फैसला लेगी. यह रोक 31 मार्च तक है. सरकार की बफर स्टॉक बनाने की योजना 2023-24 में प्याज के उत्पादन में अनुमानित गिरावट के बीच आई है.
कृषि मंत्रालय ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि ‘2023-24 में प्याज का उत्पादन लगभग 254.73 लाख टन होने की उम्मीद है, जबकि पिछले साल यह लगभग 302.08 लाख टन था. महाराष्ट्र में 34.31 लाख टन, कर्नाटक में 9.95 लाख टन, आंध्र प्रदेश में 3.54 लाख टन और राजस्थान में प्याज के उत्पादन में 3.12 लाख टन की कमी आई है.’ 2023-24 में प्याज उत्पादन में पिछले साल की तुलना में 16 फीसदी की गिरावट आई है. आंकड़ों के मुताबिक 2021-22 में प्याज का उत्पादन 316.87 लाख टन रहा था.