भारत निर्वाचन आयोग (ECI) शनिवार दोपहर 3 बजे लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों की घोषणा कर सकता है. चुनाव की तारीख की घोषणा के बाद से नतीजे आने तक पूरे देश में आदर्श आचार संहिता लागू रहेगा. इससे सरकार के सामान्य कामकाज के साथ-साथ चुनाव प्रचार में भी महत्वपूर्ण बदलाव आएगा. चुनाव आयोग के घोषणा के बाद क्या-क्या बदलेगा?
आदर्श आचार संहिता क्या है?
भारत के चुनाव आयोग ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित कराने के लिए अपने संवैधानिक अधिकार के तहत आदर्श आचार संहिता विकसित की है. इसमें राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए उचित मापदंड स्थापित की जाती है. इसका उद्देश्य ‘समान अवसर’ तैयार करना है.
10 प्वाइंट में समझें, एमसीसी (MCC) लागू होने से क्या बदलेगा?
आदर्श आचार संहिता लगने पर सरकार की कार्य क्षमता सीमित हो जाती है, जैसे कि सरकार, सरकारी घोषणा नहीं कर सकती है. इसके अलावा मंत्रियों और अन्य अधिकारियों को किसी भी वित्तीय अनुदान की घोषणा करने या उसके वादे करने से मनाही होती है.
सिविल सेवकों (अधिकारियों) को छोड़कर, किसी भी नेता या मंत्री को शिलान्यास करने या किसी भी प्रकार की परियोजनाओं या योजनाओं को शुरू करने से भी प्रतिबंधित कर दिया जाता है.
इस अवधि के दौरान सड़कों के निर्माण, पेयजल सुविधाओं के प्रावधान आदि से संबंधित वादा कोई नेता या मंत्री नहीं कर सकता है.
सरकारी या सार्वजनिक क्षेत्र में एड-हॉक पर नौकरी पर बैन रहता है, क्योंकि ये सत्तारूढ़ पार्टी के पक्ष में मतदाताओं को इंफ्लूएंस कर सकते हैं.
लोकसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही, मंत्री और अन्य अधिकारी खुद के लिए विवेकाधीन निधि से अनुदान या भुगतान को मंजूरी नहीं दे स आदर्श आचार संहिता लागू होते ही सरकारी गाड़ियों या यात्राओं पर आपका अधिकार नहीं रहेगा यानी कि चुनाव प्रचार के लिए आधिकारिक मशीनरी या कर्मियों का उपयोग सख्ती से प्रतिबंधित है.
चुनाव के दौरान सरकारी विमान, वाहन, मशीनरी और कर्मियों सहित सरकारी परिवहन का उपयोग सत्तारूढ़ दल अपने हितों के लिए नहीं कर सकती है.
चुनावी बैठकों के लिए मैदान और हवाई उड़ानों के लिए हेलीपैड जैसे सार्वजनिक स्थान में कोई भेद भाव नहीं होना चाहिए, यानी समान नियम और शर्त पर सभी दलों और उम्मीदवारों पर लागू होंगे और ये सभी सुविधाएं सभी को आसानी से मिलने चाहिए.
चुनाव आयोग के अनुसार, गेस्ट हाउस, डाक बंगलों या अन्य सरकारी आवासों पर सत्तारूढ़ दल या उसके उम्मीदवारों का एकाधिकार नहीं होना चाहिए, लेकिन कोई भी पार्टी द्वारा चुनाव प्रचार या प्रचार कार्यालय के रूप में या सार्वजनिक बैठकें आयोजित करने के लिए सरकारी भवनों का उपयोग नहीं कर सकता है.
मीडिया पर भी आचार संहिता
भारत के चुनाव आयोग के अनुसार, चुनाव अवधि के दौरान समाचार पत्रों और अन्य मीडिया में सरकारी खजाने की पैसों से विज्ञापन जारी करने पर प्रतिबंध है. एमसीसी दिशानिर्देशों में कहा गया है कि सत्तारूढ़ पार्टी के पक्ष में या उपलब्धियों के बारे में पक्षपातपूर्ण कवरेज के लिए आधिकारिक जन मीडिया के दुरुपयोग से सख्ती से बचा जाना चाहिए।