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भारत के करीब एक साथ उठे दो चक्रवाती तूफान, अरब सागर में चक्रवात तेज, तो बंगाल की खाड़ी में हामून का खतरा

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भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कहा कि अरब सागर के ऊपर बन रहे चक्रवात ‘तेज’ के आज दोपहर से पहले बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान (Very Severe Cyclonic Storm- VSCS) में बदलने की आशंका है. आईएमडी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि ‘बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान तेज 21 अक्टूबर को 2330 बजे दक्षिण पश्चिम अरब सागर पर सोकोट्रा (यमन) के 330 किमी पूर्व, सलालाह (ओमान) के 690 किमी दक्षिण पूर्व और अल ग़ैदा (यमन) के 720 किमी पूर्व पर केंद्रित था. 22 अक्टूबर की दोपहर में इसके एक अत्यधिक गंभीर चक्रवाती तूफान के रूप में और तेज होने की संभावना है.’ इसके साथ ही बंगाल की खाड़ी में आया चक्रवात ‘हामून’ भी सक्रिय हो गया है.

आईएमडी के मुताबिक अरब सागर के ऊपर बने तूफान तेज के 25 अक्टूबर की सुबह अल गैदा (यमन) और सलालाह (ओमान) के बीच तट से गुजरने की संभावना है. अगले 24 घंटों में इसके और गहरे दबाव में बदलने की संभावना है. साथ ही आईएमडी ने कहा कि ‘बंगाल की खाड़ी के ऊपर बना चक्रवात ‘हामून’ भी एक्टिव हो गया है. यह 21 अक्टूबर को पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी, पारादीप (ओडिशा) से लगभग 620 किमी दक्षिण, दीघा (पश्चिम बंगाल) से 780 किमी दक्षिण और खेपुपारा (बांग्लादेश) के 900 किमी दूरी पर केंद्रित है.’

इससे पहले मौसम एजेंसी आईएमडी ने कहा था कि दक्षिण-पूर्व और निकटवर्ती दक्षिण-पश्चिम अरब सागर के ऊपर बना कम दबाव का क्षेत्र एक अवसाद में बदल गया है. रविवार तक इसके गंभीर चक्रवाती तूफान में तब्दील होने की संभावना है. आईएमडी ने कहा कि यह उत्तर-उत्तर-पश्चिम की ओर दक्षिण ओमान और आसपास के यमन तटों की ओर बढ़ना जारी रखेगा.

आईएमडी ने पहले ही कहा था कि दक्षिण पश्चिम अरब सागर से उठ रहे चक्रवाती तूफान ‘तेज’ का गुजरात पर कोई असर नहीं पड़ेगा. हालांकि कभी-कभी चक्रवात अपना रास्ता बदल भी लेते हैं. फिर भी अगले कुछ दिनों तक गुजरात में मौसम सूखा रहने की उम्मीद है. वहीं राज्य के राहत आयुक्त आलोक कुमार पांडे ने कहा था कि चक्रवात तेज से फिलहाल राज्य को कोई खतरा नहीं है. गौरतलब है कि जून में अरब सागर से उठे बिपरजॉय तूफान ने गुजरात में कच्छ तथा सौराष्ट्र के कई क्षेत्रों में भयंकर तबाही मचाई थी. पहले यह पश्चिम की ओर बढ़ रहा था लेकिन बाद में उसने दिशा बदली तथा कच्छ तट से टकराया था.

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