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देश में धनकुबेरों की इनकम घटी, आम आदमी की आय में हुआ इजाफा, CBDT ने आंकड़े जारी कर किया दावा

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केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने दावा किया है कि भारत का कर आधार (Tax Base) वर्ष 2013-14 के बाद से लगातार बढ़ रहा है. अति-अमीर आयकरदाताओं की आय का अनुपात घट रहा है, वहीं आम करदाता की आय में बढ़ोतरी हो रही है. कांग्रेस द्वारा देश में आय असमानता बढ़ने का आरोप लगाने के बाद सीबीडीटी ने अब स्‍पष्‍टीकरण जारी किया है. सीबीडीटी का कहना है कि देश में सुपर रिच की आय में गिरावट आई है वहीं मध्‍यम वर्ग की आय में इजाफा हुआ है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आरोप लगाया था कि देश में अमीर और मध्‍यम वर्ग के बीच आय की खाई चौड़ी होती जा रही है. अमीरों की इनकम में तेजी से इजाफा हा रहा है तो मध्‍यम वर्ग की आय घट रही है.

सीबीडीटी ने बयान में कहा कि मूल्यांकन वर्ष (Assessment Years) 2013-14 में व्यक्तिगत रूप से आईटीआर भरने वालों की संख्या 3.36 करोड़ थी, जो मूल्यांकन वर्ष 2021-22 में 6.37 करोड़ हो गई. मूल्यांकन वर्ष 2023-24 में अप्रैल से लेकर अब तक 7.41 करोड़ आईटीआर भरे जा चुके हैं. इनमें से 53 लाख ने पहली बार आईटीआर दाखिल की है.

निचले तबके की बढ़ रही है हिस्‍सेदारी
सीबीडीटी का कहना है कि टैक्स के योगदान में निचले तबके के लोगों की हिस्सेदारी भी लगातार बढ़ रही है. मूल्यांकन वर्ष 2013-14 में पांच लाख तक की आय वाले 2.62 करोड़ आईटीआर भरे गए थे. मूल्यांकन वर्ष 2021-22 में सालाना पांच लाख आय वर्ग के आईटीआर की संख्या बढ़कर 3.47 करोड़ हो गई. यानी कि 32 प्रतिशत का इजाफा हुआ. मूल्यांकन वर्ष 2013-14 से लेकर मूल्यांकन वर्ष 2021-22 के दौरान व्यक्तिगत टैक्सपेयर्स की कुल औसत आय में 56 प्रतिशत की बढोतरी हुई.

औसतन पांच से 10 लाख की कुल सालाना आय वालों की तरफ से भरे जाने वाले आईटीआर की संख्या में मूल्यांकन वर्ष 2013-14 से लेकर मूल्यांकन वर्ष 2021-22 के बीच 295 फीसदी तो 10 लाख से 20 लाख सालाना आय वालों के आईटीआर की संख्या में 291 फीसदी का इजाफा हुआ. ये आंकड़े बताते हैं कि व्यक्तिगत करदाता सकल कुल आय की उच्च सीमा की ओर जा रहे हैं.

सुपर रिच की घटी आय
2013-14 से 2021-22 मूल्‍यांकन वर्ष के बीच इनकम में टॉप एक फीसदी टैक्‍सपेयर्स का योगदान 15.9 फीसदी से घटकर 14.6 फीसदी पर आ गया है. नीचे से 25 फीसदी टैक्‍सपेयर्स का कुल योगदान इस अवधि में 8.3 फीसदी से बढकर 8.4 फीसदी हो गया है. वहीं टैक्‍सपेयर्स की कुल औसत आय असेसमेंट ईयर 2013-14 में 4.5 लाख रुपये थी वह 56 फीसदी बढ़कर मूल्‍यांकन वर्ष 2021-22 में 7 लाख पर पहुंच गई. आय की दृष्टि से टॉप एक फीसदी टैक्‍सपेयर की आय 42 फीसदी तो निचले 25 फीसदी टैक्‍सपेयर्स की औसतन आय 58 फीसदी बढ़ी है.

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