चारों तरफ चिथड़े उड़े हुए शव ही शव बिछे पड़े थे. किसी का धड़ अलग था तो किसी के चिथड़े ही उड़ गए थे. हालत ऐसी थी कि पहचान पाना भी मुश्किल था. कपड़ों को देखकर परिजनों ने शवों की पहचान की और कपड़ों में उन्हीं चिथड़ों को लपेटकर ले गए.
17 मई 2010… नक्सल इतिहास का वो काला अध्याय जब नक्सलियों छत्तीसगढ़ के अविभाजित दंतेवाड़ा के चिंगावरम में पहली बार यात्रियों से भरी बस को निशाना बनाया था. जिसमें 15 जवानों सहित कुल 31 लोगों की मौत हो गई थी. घटना को 15 साल बीत गए, लेकिन आज भी इसका दर्द और जख्म ताजा है. मृतकों के परिजनों का कहना है कि उस मंजर को याद कर आज भी रूंह कांप जाती है.
अविभाजित दंतेवाड़ा जिले के भूसारास के घने जंगलों में नक्सलियों के खिलाफ तीन दिन का लंबा ऑपरेशन कर जिला बल व एसपीओ की टीम सुकमा लौट रही थी. कई घंटे चले ऑपरेशन के बाद जवान पूरी तरह से थक चुके थे. मई का महीना और चिलचिलाती व चिपचिपी गर्मी ने जवानों का बुरा हाल कर दिया था. पूरी तरह मानसिक व शारीरिक रूप से थक चुके जवानों ने फोर्स की स्टैंडिंग ऑपरेटिंग प्रोसीजर का पालन नहीं किया और एक बड़ी चूक कर बैठे.
जवान लौटने के दौरान यात्री बस पर सवार हो गए. इसी चूक का फायदा उठाते हुए घात लगाए नक्सलियों ने चिंगावरम के पास लैंड माइन ब्लास्ट कर यात्री बस को उड़ा दिया. इस घटना में 15 जवान समेत 31 लोग मारे गए.