आरबीआई की 3 दिवसीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक बुधवार 3 अप्रलै से शुरू हो गई. यह बैठक 5 अप्रैल तक चलेगी. 3 दिन की बैठक के बाद पता चलेगा कि आरबीआई ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेगा या नहीं. अगर ब्याज दरों में इजाफा होता है विभिन्न तरह का लोन महंगा हो सकता है. आरबीआई एमपीसी एक छह सदस्यीय समिति है जिसे भारत की बेंचमार्क ब्याज दर, रेपो दर निर्धारित करने का काम सौंपा गया है और आज शुरू हुई बैठक 5 अप्रैल को समाप्त होगी.
यह दर सीधे बैंकों के लिए उधार लेने की लागत को प्रभावित करती है और अप्रत्यक्ष रूप से ऋण ब्याज दरों को प्रभावित करती है. शक्तिकांत दास के नेतृत्व वाली छह सदस्यीय एमपीसी की समीक्षा में वह प्रस्ताव रखे जाएंगे जिसे केंद्रीय बैंक इस वित्त वर्ष के लिए अपनाएगा. बैंक का लक्ष्य महंगाई दर को 4 प्रतिशत के अंदर रखते हुए विकास की रफ्तार को बनाए रखना है. अधिकांश अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आरबीआई 6.50 प्रतिशत की अपनी रेपो रेट को अपरिवर्तित रखेंगे.
अर्थशास्त्रियों की राय
इन्फोमेरिक्स रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री डॉ. मनोरंजन शर्मा ने कहा, “विकास और मुद्रास्फीति की बढ़ती गतिशीलता और आर्थिक विकास की प्रक्रिया को गति प्रदान करने की आवश्यकता को देखते हुए, हम प्रमुख नीति दरों और स्थिति में किसी भी बदलाव की उम्मीद नहीं करते हैं.” उनका मानना है कि मौजूदा दरों को जारी रखा जाएगा. नीति दर में कटौती जून 2024 से धीरे-धीरे और कैलिब्रेटेड तरीके से हो सकती है क्योंकि मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति नीचे की ओर है और विकास और मुद्रास्फीति के बीच संतुलन है. वित्त वर्ष 25 में नीतिगत दर में 75 आधार अंकों या 0.75 फीसदी की कटौती की स्पष्ट संभावना है.