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बदल गए नियम, बीमा पॉलिसी सरेंडर करने पर अब मिलेंगे ज्‍यादा पैसे, रिटर्न और एजेंट कमीशन पर भी होगा असर

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आज यानी एक अक्‍टूबर से लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी (Life Insurance) के नियमों में बड़ा बदलाव हो गया है. नए गारंटीकृत सरेंडर मूल्य नियम लागू होने के तीन फायदे होंगे. अब पॉलिसीधारक आसानी से पॉलिसी सरेंडर कर सकेंगे, ऐसा करने पर रिफंड भी ज्‍यादा मिलेगा और साथ ही प्‍लान बदलने में भी आसानी होगी. ये बदलाव विशेष रूप से पारंपरिक जीवन बीमा उत्पादों पर असर डालेंगे, जिसमें बोनस-आधारित (par) और गैर-भागीदारी (non-par) पॉलिसियां शामिल हैं.

नए नियमों के तहत, अब पॉलिसीधारकों को पहले साल से ही गारंटीकृत सरेंडर मूल्य मिलेगा, भले ही उन्होंने केवल एक वार्षिक प्रीमियम का भुगतान किया हो. इससे पहले, यह सुविधा दूसरे साल से मिलती थी. हालांकि, जानकारों का कहना है कि लंबे समय तक पॉलिसी रखने वालों को रिटर्न इससे कम रिटर्न मिल सकता है. नॉन-पार पॉलिसियों पर रिटर्न में 0.3-0.5 प्रतिशत की गिरावट हो सकती है, जबकि पार पॉलिसियों में बोनस भुगतान भी कम होगा.

एक साल बाद कितना पैसा मिलेगा वापस
एक पॉलिसीधारक ने 5 लाख रुपये की बीमा राशि के साथ 10 साल की पॉलिसी खरीदी. पहले साल उसने 50 हजार रुपये का प्रीमियम चुकाया. पुराने नियमों के अनुसार अगर वह एक साल बाद पॉलिसी छोड़ता तो उसे कोई रिफंड नहीं मिलता. यानी उसे 50 हजार रुपये का नुकसान होता. लेकिन नए नियमों के अनुसार, वह एक साल बाद पॉलिसी छोड़ने पर भी उसे रिफंड मिलेगा. अगर बीमा कंपनी ने पूरे साल का प्रीमियम प्राप्त किया है तो उसे पॉलिसीधारक को 31,295 रुपये वापस करने होंगे.
पॉलिसी सरेंडर करने पर ज्‍यादा रिफंड
इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, सेबी रजिस्टर्ड निवेश सलाहकार और सहजमनी डॉट कॉम के फाउंडर अभिषेक कुमार का कहना है कि पहले के नियमों के अनुसार अगर पॉलिसी चौथे और सातवें साल के बीच सरेंडर की जाती तो कुल प्रीमियम का 50 फीसदी भुगतान किया जाना अनिवार्य था. मान लीजिए कि किसी पॉलिसी का कुल प्रीमियम 2 लाख रुपये है. अगर 4 साल बाद पॉलिसी सरेंडर करते हैं तो पिछले सरेंडर मूल्य नियमों के अनुसार आपको सरेंडर वैल्यू के रूप में 1.2 लाख रुपये वापस मिलते. अब लागू हुए नए नियमों के मुताबिक, पॉलिसी सरेंडर करने पर 1.55 लाख रुपये वापस मिलेंगे.

कंपनियों पर क्‍या होगा असर
टाइम्‍स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले चार महीनों में सरकारी बॉन्ड की दरें 7.10% से गिरकर 6.8% हो गई हैं, बीमाकर्ताओं ने अब तक अपने उत्पादों पर आंतरिक रिटर्न दर (IRR) बनाए रखा है. लेकिन नए नियमों के कारण कंपनियां अपने IRR को कम करने और मौजूदा ब्याज दर के माहौल के अनुसार समायोजित करने पर विचार कर रही हैं. इंडिया फ़र्स्ट लाइफ के एमडी और सीईओ रुशभ गांधी ने कहा, “कई बीमाकर्ताओं ने अब तक अपने उत्पादों के IRR में बदलाव नहीं किया है, लेकिन नए सरेंडर नियमों के साथ, बीमाकर्ता अपने उत्पादों में बदलाव कर सकते हैं, जिससे IRR में कमी आ सकती है.”

एजेंट के कमीशन पर क्‍या होगा असर
नए नियम लागू होने के बाद बीमाकर्ताओं को अपने कमीशन ढांचे में भी बदलाव करना पड़ सकता है ताकि वे नए नियमों के तहत मुनाफे को सुरक्षित रख सकें. कुछ कंपनियां 50-25-25 कमीशन मॉडल अपना सकती हैं, जहां एजेंट का 50% कमीशन पहले साल में दिया जाएगा और बाकी का भुगतान दूसरे और तीसरे साल में किया जाएगा. वहीं, कुछ कंपनियां ट्रेल-आधारित कमीशन मॉडल पर विचार कर रही हैं, जिससे पॉलिसी की अवधि के दौरान कमीशन का भुगतान किया जा सकेगा और प्रारंभिक सरेंडर से वित्तीय हानि को नियंत्रित किया जा सकेगा.